नई दिल्ली: देश के पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न प्रणब मुखर्जी अब हमारे बीच नहीं रहे। 84 साल की उम्र पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार को दिल्ली के सैन्य अस्पताल में निधन हो गया। उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने यह जानकारी ट्वीट करके दी। प्रणब मुखर्जी 84 वर्ष के थे। प्रणब मुखर्जी को गत 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पूर्व राष्ट्रपति को ब्रेन में खून का थक्का बनने के कारण सर्जरी के लिए 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सर्जरी से पहले टेस्ट के दौरान उनमें कोविड-19 संक्रमण की भी पुष्टि हुई थी।
84 साल के प्रणब मुखर्जी को 8 अगस्त 2019 को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। प्रणब मुखर्जी जुलाई 2012 से 2017 तक देश के राष्ट्रपति रहे। मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति निर्वाचित होने से पूर्व कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे और उन्होंने राष्ट्रपति के पद पर जुलाई 2012 से 2017 तक सेवा दी। प्रणब मुखर्जी ने किताब 'द कोलिएशन ईयर्स: 1996-2012' लिखा है।
देश के 13वें राष्ट्रपति मुखर्जी का पूरा राजनीतिक जीवन भले ही कांग्रेस के साथ बीता हो लेकिन भारतीय जनता पार्टी के दो नेताओं से वह खासा प्रभावित थे। ये दो नेता हैं पूर्व प्रधानमत्री अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी। इसका जिक्र उन्होंने खुद एक कार्यक्रम में किया था। अटल बिहारी वाजपेयी को मुखर्जी सबसे असरदार प्रधानमंत्री मानते थे तो नरेंद्र मोदी के बारे मे उनकी राय तेजी से सीखने वाले प्रधानमंत्री की थी। नरेंद्र मोदी खुद कह चुके हैं कि जब वह दिल्ली आए थे तो प्रणब दा ने ही उन्हें अंगुली पकड़कर चलना सिखाया था। राष्ट्रपति के रूप में जब मुखर्जी का अंतिम दिन था तो प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें चिट्ठी लिखकर कहा था कि आपके साथ काम करना सम्मान की बात रही।
राजनीति में आने से पहले प्रणब मुखर्जी कलकत्ते में ही पोस्ट एंड टेलिग्राफ विभाग में डेप्युटी अकाउंटेंट जनरल के पद पर नियुक्त थे। वह इस विभाग में अपर डिविजन क्लर्क थे। प्रणब दा ने पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में स्थित विद्यानगर कॉलेज में कुछ समय के लिए राजनीति शास्त्र भी पढ़ाया। प्रणब दा का राजनीति से पहला वास्ता तब पड़ा जब उन्होंने 1969 में मिदनापुर उपचुनाव में एक निर्दलीय उम्मीदावर के तौर पर खड़े वीके कृष्ण मेनन के लिए चुनाव प्रचार किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उस उपचुनाव में प्रणब मुखर्जी के चुनावी रणनीतिक कौशल से बहुत ज्यादा प्रभावित हुईं और उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का सदस्य बना दिया।
प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक सफर
पहली बार राज्यसभा सांसद 1969
पहली बार केंद्रीय मंत्री 1973
पहली बार कैबिनेट मंत्री 1984
पहली बार लोकसभा सांसद 2004
प्रणब दा को सम्मान
भारत रत्न 2019
पद्म विभूषण 2008
सर्वश्रेष्ठ सांसद 1997
सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री 1984
राजनीति के 'दादा'
1969 पहली बार राज्यसभा सदस्य
1973 इंदिरा गांधी सरकार में उप मंत्री
1975 दूसरी बार राज्यसभा सांसद
1981 तीसरी बार राज्यसभा सांसद
1984 इंदिरा गांधी सरकार में वित्त मंत्री
1984 सर्वे में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री
1991 योजना आयोग के उपाध्यक्ष
1993 चौथी बार राज्यसभा सांसद
1995 नरसिम्हा राव सरकार में विदेश मंत्री
1999 पांचवी बार राज्यसभा सांसद
2004 पहली बार लोकसभा सांसद
2004 यूपीए-1 सरकार में रक्षा मंत्री
2006 यूपीए-1 सरकार में विदेश मंत्री
2009 यूपीए-2 सरकार में वित्त मंत्री
2012 भारत के 13वें राष्ट्रपति बने
2017 राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म
प्रणव मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के मिराती गांव के एक ब्राह्मण परिवार में कामदा किंकर मुखर्जी और राजलक्ष्मी मुखर्जी के यहां हुआ था। उनके पिता 1920 से कांग्रेस पार्टी में सक्रिय होने के साथ पश्चिम बंगाल विधान परिषद में 1952 से 64 तक सदस्य और वीरभूम (पश्चिम बंगाल) जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके थे। उनके पिता एक सम्मानित स्वतन्त्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन की खिलाफत के कारण 10 वर्षो से अधिक जेल की सजा भी काटी थी।
प्रणब मुखर्जी शुरुआत से ही काफी मेधावी थे। कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ साथ कानून की डिग्री हासिल की है। वे एक वकील और कॉलेज प्राध्यापक भी रह चुके हैं। उन्हें मानद डी.लिट उपाधि भी प्राप्त है। उन्होंने पहले एक कॉलेज प्राध्यापक के रूप में और बाद में एक पत्रकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। वे बांग्ला प्रकाशन संस्थान देशेर डाक (मातृभूमि की पुकार) में भी काम कर चुके हैं। प्रणव मुखर्जी बंगीय साहित्य परिषद के ट्रस्टी एवं अखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रहे।
पहली बार 1969 में बतौर राज्यसभा सदस्य से शुरू हुआ था। वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में फिर से चुने गये। 1973 में वे औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उप मन्त्री के रूप में मन्त्रिमण्डल में शामिल हुए।
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