नई दिल्ली: सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन बढ़ता ही जा रहा है, जिसपर देश की सर्वोच्च अदालत ने भी चिंता जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून को लेकर सुनवाई करते हुए सरकार को आड़े हाथ लिया और समस्या सुलझाने के लिए एक चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई कमेटी पर किसान संगठनों ने सवाल उठाए हैं। किसान नेता राकेश टिकेत ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हैं, लेकिन किसानों का आंदोलन जारी रहेगा, क्योंकि कमेटी के सदस्यों से किसान खुश नहीं है।
अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में कमेटी ने सिफारिश की थी। गुलाटी ने ही कृषि कानूनों की सिफारिश की थी। राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे है। अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी। देश का किसान इस फैसले से निराश है।
राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांग कानून को रद्द करने व न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है। जब तक यह मांग पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का परीक्षण कर कल संयुक्त मोर्चा आगे की रणनीति की घोषणा करेगा।
आंदोलन में किसानों का आना जारी
रेलवे सेवा बाधित होने के बावजूद देश के अलग-अलग हिस्सों से किसानों का आना लगातार जारी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने जारी बयान में कहा कि आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के किसान आ गए हैं, परसों केरल के किसान भी आ रहे हैं।
किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को बदनाम करने व दो-तीन राज्यों तक सीमित बताकर आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की निंदा की। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून पारित होने से पहले जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) था वो अगले आदेश तक जारी रहेगा।
कोर्ट ने गठित कमेटी से कहा कि वो दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप दें। शीर्ष अदालत ने कहा कि समिति, सरकार के साथ-साथ किसान संगठनों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों को सुनने के बाद इस न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
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