मनीष कुमार, नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का जारी है। आज किसान आंदोलन का 13वां दिन है। बड़ी संख्या में देशभर के किसान 26 नवंबर से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर डटे हुए हैं और धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी कड़ी में किसान प्रतिनिधियों ने आज भारत बंद का आह्वान किया है। किसानों के इस भारत बंद को विपक्षी पार्टियों का भी समर्थन हांसिल है। साथ ही किसानों के इस बंद को देशभर के कई ट्रेड यूनियनों ने भी अपना समर्थन दिया है।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की मांग को लेकर अबतक सरकार और किसान प्रतिनिधियों में पांच दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अबतक दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई है। सरकार और किसान दोनों अपनी-अपनी बातों पर अड़े हैं। किसान जहां तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, वहीं सरकार इसमें संशोधन के लिए तैयार तो नजर आ रही है लेकिन वो किसी भी सूरत में कृषि कानून को वापस लेना नहीं चाहती है। लिहाजा सरकार पर दवाव बनाने और कृषि कानून के खिलाफ देशभर के किसानों लामबंद करने के लिए किसान प्रतिनिधियों ने आज भारत बंद का ऐलान किया है।
किसानों के आंदोलन के बीच इस मसले को सरकार और किसान प्रतिनिधि बातचीत के जरिए हल करना चाहती है। लिहाजा एकबार फिर कल यानी 9 दिसंबर को सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच बैठक होगी। आंदोलन के चलते बंद है। इससे पहले 5 दिसंबर को भी सरकार और किसानों के बीच वार्ता हुई थी। शनिवार को हुई पांचवीं दौर की वार्ता में दोनों पक्षों के बीच बिना किसी समझौते के खत्म हो गई।
पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा शुरू किया गया ये आंदोलन व्यापक शक्ल लेता जा रहा है और ये अब ये किसानों का देशव्यापी आंदोलन हो गया है। शुरुआत में इस आंदोलन में पंजाब और हरियाणा के किसान ही शामिल थे। उसके बाद में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान और किसान नेताओं ने इसमें हिस्सा लिया, लेकिन अब इस आंदोलन में उत्तर प्रदेश के साथ-साथ राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों के किसान जुड़ गए हैं।
किसानों का कहना है कि जब तक केंद्र सरकार कोतीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। साथ किसानों ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानी जाती है तो वह दिल्ली की तरफ जाने वाली और सड़कों को बंद कर देंगे। किसानों का कहना है कि अगर गतिरोध आगे भी जारी रहा तो आंदोलन दिल्ली तक ही सीमित नहीं रहेगा, पूरे देश के लोग किसानों के समर्थन में उतरेंगे।
वहीं सरकार का दावा है कि कृषि कानून किसानों के चहुमंखी विकास और हित के लिए बनाया गया है। लेकिन किसानों के विपक्षी दलों के नेता बरगला रहे हैं। किसानों के साथ पांचवें दौर की बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों में ये भ्रम फैलाया जा रहा है कि एमएसपी (MSP) को खत्म कर दिया जाएगा जो सही नहीं है। एमएसपी किसी भी सूरत में खत्म नहीं किया जाएगा। कृषि मंत्री ने कहा कि MSP जारी रहेगी। MSP पर किसी भी प्रकार का खतरा और इस पर शंका करना बेबुनियाद है लेकिन फिर भी किसी के मन में कोई शंका है तो सरकार उसका समाधान करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
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