कुंदन सिंह, नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आज 13वें दिन भी आंदोलन जारी है। बड़ी तादाद में देशभर के 26 नवंबर से किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर जमे हुए हैं और धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। बड़ी तादाद में किसान सिंघु, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर समेत दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं और ये बॉर्डर पहले से ही बंद है। इस बीच 9 दिसंबर को होने वाले छठे दौर की बैठक से पहले किसानों ने सरकार पर दवाब बढ़ाने की रणनीति के तहत आज देशव्यापी बंद का ऐलान किया है।
किसान प्रतिनिधियों ने ऐलान किया है कि सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 3 बजे तक वो देशभर में चक्का जाम करेंगे। किसानों का कहना है कि उनका ये आंदोलन शांतिपूर्ण होगा और इस दौरान जरूरी सेवाओं को भी बाधित नहीं किया जाएगा। इस दौरान दूध, फल व सब्जी पर रोक रहेगी। शादी व इमरजेंसी सेवाओं पर किसी तरह की रोक नहीं होगी।
राकेश टिकैत ने कहा है कि सुबह 11 बजे से शाम 3 बजे तक पूरी तरह भारत बंद रहेगा और आकस्मिक सेवाओं से जुड़े वाहन एंबुलेंस और छात्रों को इससे अलग रखा जाएगा। यानी इन्हें आने जाने की छूट दी जाएगी। इनके अलावा पूरी तरह भारत बंद रहेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों के इस आंदोलन को अब बड़ी संख्या में जनसमर्थन मिल रहा है। इसलिए इस बार का भारत बंद ऐतिहासिक होगा।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बयान जारी करते हुए कहा है कि सरकार के द्वारा जो यह तीनों बिल बनाए गए हैं, वह किसान विरोधी हैं। ऐसे में किसानों के हित को ध्यान रखते हुए सरकार को तत्काल प्रभाव से वापस लेना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री किसानों को देश का अन्नदाता बोलते हैं और किसानों पर गर्व करने की बात कहते हैं। वहीं दूसरी तरफ किसान विरोधी बिल लाकर किसान को नरक में धकेलने का कार्य किया है। जब तक सरकार तीनों बिल वापस नहीं लेती तब तक किसान टस से मस नहीं होंगे। यदि सरकार किसानों की बात नहीं मानती तो इस बार किसानों का गुस्सा झेलने को तैयार रहें।
वहीं विपक्षी दलों ने रविवार शाम संयुक्त बयान जारी कर कहा, संसद में बिना वोटिंग व चर्चा के जल्दबाजी में पास कराए गए कृषि कानून भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा हैं। ये हमारे किसानों व कृषि को तबाह करने वाले हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करते हुए हमारे अन्नदाता किसानों की मांगें माननी चाहिए। किसानों के इस भारत बंद को कांग्रेस, डीएमके, आप, समाजवादी पार्टी, बीएसपी, आरजेडी और टीआरएस ने भी समर्थन देने का एलान किया है। अब तक 13 से ज्यादा विपक्षी दल और दस ट्रेड यूनियन भारत बंद का समर्थन कर चुकी है।
इस मसले को लेकर सरकार और किसान प्रतिनिधियों में अबतक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अबतक दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई है। और दोनों पक्षों के बीच 9 दिसंबर को छठे दौर की बातचीत होगी। दरअसल सरकार और किसान दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़ें हैं। किसान जहां तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अडिग हैं तो वहीं सरकार इसमें संशोधन के लिए तैयार तो नजर आ रही है। लेकिन इसे किसी भी सूरत में वापिस नहीं लेना चाहती। लिहाजा सरकार पर इस कानून को वापस लेने के लिए दवाब बनाने की रणनीति के तहत किसान प्रतिनिधियों ने आज भारत बंद का आह्वान किया है।
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