कुंदन सिंह, नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 10वां दिन है। वहीं इस मसले को सुलझाने के लिए आज एकबार फिर सरकार और किसान नेताओं के बीच बैठक होगी। ये बैठक दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में होगी।
किसान जहां तीनों कृषि कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं, वहीं किसानों के सड़कों पर होने की वजह से सरकार के तेवर भी थोड़े नरम पड़े है। सरकार इस कानून में कुछ संशोधन कर जल्द से जल्द किसानों के इस आंदोलन को खत्म कराना चाहती है।
केद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच इस मसले को सुझाने के लिए अबतक चार दौर की बैठक हो चुकी है लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अगुवाई में तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधिमंडल की दो दिसंबर को हुई बैठक भी बेनतीजा रही थी। यह बैठक तकरीबन आठ घंटे चली लेकिन कोई ठोक हल नहीं निकल सका।
बताया जा रहा है कि इस बैठक में किसान नेता नए कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े रहे। हालांकि सरकार की ओर से कहा गया कि बैठक सकारात्मक रही। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, किसानों और सरकार की बातचीत में इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि सरकार ये कोशिश करेगी कि एपीएमसी और सशक्त हो और इसका दायरा ज़्यादा बढ़े। एमएसपी पहले की तरह जारी रहेगी। एमएसपी को और कैसे सशक्त बनाया जाए इसपर विचार किया जा सकता है।
कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर ने बैठक के बाद कहा, सरकार बातचीत कर रही है और चर्चा के दौरान आने वाला मुद्दा निश्चित रूप से एक समाधान तक पहुंच जाएगा। इसलिए मैं किसानों से अपील करता हूं कि वे अपना आंदोलन समाप्त करें ताकि दिल्ली के लोगों को उन समस्याओं का सामना न करना पड़े जिनका वे विरोध के कारण सामना कर रहे हैं।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, मुद्दा कानूनों के पूरी तरह से वापस लेने के बारे में है। केवल एक ही नहीं, बल्कि कई मुद्दों पर चर्चा होगी। किसान चाहते हैं कि कानूनों को वापस लिया जाए। सरकार एमएसपी और अधिनियमों में संशोधन के बारे में बात करना चाहती है। टिकैत ने कहा, सरकार ने एमएसपी पर संकेत दिए हैं। ऐसा लगता है कि एमएसपी को लेकर उनका रुख ठीक रहेगा। वार्ता ने थोड़ी प्रगति की है।
सरकार के साथ चौथे दौर की से बातचीत के बाद किसान नेता हर्षविंदर सिंह ने कहा कि मंत्रियों ने हमसे पूछा कि आप कमियां बताइए। तो हमने कहा-आपके कानून में कमियां ही कमियां हैं। सारा बिल कमियों से भरा हुआ है।
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