अमित कुमार, नई दिल्ली: देश में कृषि अध्यादेश लाये जाने के बाद से केंद्र सरकार का विरोध लगातार जारी है। जिसे लेकर अब खबर है कि अध्यादेश के विरोध में किसान आज संसद का घेराव कर सकते हैं। हरियाणा, पंजाब के साथ-साथ अब यूपी में भी किसानों ने अध्यादेश का विरोध शुरू कर दिया है। आढ़तियों और किसानों ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ विरोध का बिगुल बजा दिया है। यूपी में किसानों के एक समूह ने दिल्ली-यूपी सीमा पर केंद्रीय कृषि अध्यादेशों का विरोध करने के लिए दिल्ली बॉर्डर तक मार्च किया।
किसान मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि कृषि अध्यादेश कृषक समुदाय को 'बर्बाद' कर देगा इसलिए इसे वापस लिया जाना चाहिए। कांग्रेस, अकाली दल समेत कई पार्टियों का आरोप है कि नए कानून किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत किसानों को प्राप्त सुरक्षा समाप्त हो जाएगी और बड़े कॉरपोरेट उनकी उपज अपनी मर्जी से खरीद सकेंगे।
विपक्ष ने किसान विरोधी बताकर इनका विरोध किया लेकिन कृषि मंत्री ने कहा कि ये विधेयक किसानों की स्थिति बदलेंगे और इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के प्रावधानों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। देशभर में किसान पहले से ही इन अध्यादेशों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस ने विधेयकों को 'किसान विरोधी षड्यंत्र' करार दिया है। कांग्रेस ने कहा कि इससे किसानों को नहीं, बल्कि बड़े-बड़े उद्योगपतियों को आजादी मिलने वाली है।
आपको बता दें कि संसद के मानसून सत्र के पहले दिन कृषि से जुडे़ तीन विधेयक लोकसभा में पेश किये गये। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार 14 सितंबर को कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020, कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 लोकसभा में पेश किया। सरकार ने पांच जून 2020 को ही अध्यादेश जारी किए थे, यह तीनों विधेयक को उन संबंधित अध्यादेशों की जगह लेंगे।
क्या है कृषि अध्यादेश
पहला- आवश्यक वस्तु अधिनियम, जिसके जरिये खाद्य पदार्थों की जमाखोरी पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया है।
दूसरा- मंडियों के बाहर कृषि उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था तैयार करना है।
तीसरा- ये कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को कानूनी वैधता प्रदान करता है ताकि बड़े बिजनेस और कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट पर जमीन लेकर खेती कर सकें।
आपको बता दें कि इन अध्यादेशों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान लगातार सड़कों पर हैं। पंजाब में मोदी सरकार के सहयोगी के रूप में काम करनेवाले अकाली दल ने बिलों का विरोध जताया है। इतना ही नहीं उन्होंने इसके लिए हरियाणा की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) से भी बात करके उनका समर्थन मांगा है।
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