नई दिल्ली: कृषि कानून को लेकर किसानों और सरकार के बीच अब तक कोई समझौता नहीं पाया है। ऐसे में खबर आ रही है कि किसान संगठन अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं। मिली जानकारी के अनुसार, किसान यूनियन तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करेंगे।
गृह मंत्री अमित शाह से किसानों की बैठक के बाद भी कोई समाधान नहीं निकल पाया है। हालांकि आज केंद्र सरकार की तरफ से किसानों को कृषि कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP की लिखित गारंटी देगी, लेकिन किसान कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हैं।
किसान संगठन दोपहर 12 बजे सिंघु बॉर्डर पर मीटिंग कर तय करेंगे कि आगे क्या करना है। आज किसानों और सरकार के बीच छठे दौर की चर्चा होनी थी, लेकिन इसको टाल दिया गया है। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता, राकेश टिकैत ने कहा कि वे कृषि बिलों में संशोधन स्वीकार नहीं करेंगे और चाहते हैं कि इसको रद्द किया जाए।
कुछ संशोधन जो सरकार कृषि कानूनों में करने को तैयार है:
1. लिखित एमएसपी आश्वासन
2. एपीएमसी शुल्क संरचना पर लिखित आश्वासन। मौजूदा मंडी प्रणाली को जारी रखने के लिए और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।
3. सरकार एक संशोधन लाने के लिए तैयार है, जिसे निजी व्यापारियों को खुद को पंजीकृत करने की आवश्यकता होगी। किसानों ने आपत्ति जताई थी कि पैनकार्ड किसी भी व्यक्ति को व्यापार प्रणाली में प्रवेश करने की अनुमति देगा।
4. किसान अपनी शिकायतों को दूर करने के लिए न्यायालय का रुख कर सकते हैं। नए अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि किसान अपनी शिकायतें एसडीएम अदालत में ले जा सकते हैं। किसान यूनियनों को लगता है कि एसडीएम अदालत एक निचली अदालत है और उन्हें अदालत जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
5. इसके अलावा प्राइवेट मंडियों में भी कुछ शुल्क लगाने पर विचार हो सकता है।
6. इसके अलावा सरकार पराली जलाने को लेकर हाल ही में लाए गए अध्यादेश में कुछ बदलाव कर सकती है या वापस लेने पर भी विचार कर सकती है।
7. किसानों की एक मांग प्रस्तावित बिजली संशोधन बिल को नहीं लाने की भी है। सरकार उसपर और संवाद का प्रस्ताव रख सकती है।
कानूनों में संशोधन के लिए तैयार सरकार का मतलब है कि कानून में कमी हैं: किसान नेता
भारतीय किसान यूनियन (दौबा) के नेता सतनाम सिंह साहनी ने कहा कि किसान चाहते हैं कि तीनों फार्म कानूनों को निरस्त किया जाए और अगर सरकार मौजूदा कानूनों में संशोधन लाने को तैयार है, तो इसका मतलब है कि कानून में कई कमियां हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र के लिखित प्रस्ताव पर सभी किसान निकायों के साथ चर्चा की जाएगी और फिर अंतिम निर्णय की घोषणा की जाएगी।
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