प्रभाकर मिश्रा, नई दिल्ली: कृषि कानूनों को लेकर किसान 22वें दिन भी आंदोलन जारी है। सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने के बाद सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबडे ने साफ कर दिया कि किसानों का आंदोलन जारी रहेगा, लेकिन इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक स्वतंत्र निष्पक्ष समिति का गठन किया जाएगा। चीफ जस्टिस ने साफ किया कि पुलिस आंदोलनकारी किसानों पर किसी भी तरह का बल प्रयोग नहीं करेगी।
सुप्रीम कोर्ट में आज कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हुई। कोर्ट ने कहा कि आज कृषि कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई नहीं होगी। हम आज केवल किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई करेंगे। पंजाब सरकार की तरफ से कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम पेश हुए, जबकि हरीश साल्वे याचिकाकर्ता ऋषभ शर्मा की तरफ से पेश हुए। ऋषभ शर्मा ने प्रदर्शकारी किसानों को सीमा से हटाने की मांग की है।
सुनवाई के दौरान हरिश साल्वे की दलील दी कि प्रदर्शन से दिल्ली के लोगों को दिक्कत हो रही है और महंगाई बढ़ेगी।
जिसपर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि हम एक बात साफ कर देना चाहते हैं, कि किसानों को विरोध करने का अधिकार है। लेकिन इससे किसी दूसरे के जीवन पर असर नहीं होना चाहिए।
कोर्ट ने रखा निष्पक्ष समिति का प्रस्ताव
CJI ने कहा कि हम एक स्वतंत्र निष्पक्ष समिति का प्रस्ताव कर रहे हैं, जिसके समक्ष दोनों पक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं। जब तक कि विरोध जारी रहता है और यह कि समिति अपनी राय देगी, जिसे हम आशा करते हैं कि दोनों पक्ष उसे मानेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि कोर्ट एक कमिटी का गठन करेगा। हालांकि प्रदर्शन वापस नहीं होगा और चलता रहेगा। कोर्ट ने कहा जबतक किसानों का प्रदर्शन अहिंसक है, उनके खिलाफ पुलिस बल का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
CJI ने कहा कि कमिटी में साईंनाथ जैसे कृषि विशेषज्ञ और किसान यूनियन के लोग हों। विरोध तब तक शांतिपूर्ण चले, पुलिस भी हिंसा न करे, लेकिन सड़क भी न रोकी जाए।
जिद्द सही नहीं
एटॉर्नी जनरल ने कहा कि कमिटी के ज़रिए किसानों को केंद्र सरकार की बात समझ आनी चाहिए। सिर्फ यह जिद्द सही नहीं है कि कानून वापस लो।
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