(केजे श्रीवत्सन) जयपुर। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बार फिर से दिल्ली की घेराबंदी करने की चेतावनी देते हुए साफ कर दिया है कि इसकी शुरूआत 26 मार्च को भारत बंद से होगी। जयपुर में हुई किसान महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैट ने साफ कर दिया कि इस बार यदि बेरिकेट्स को तोड़ना पड़ा तो उसे तोड़ेंगे, लेकिन संसद में सामने केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए एमएसपी पर फसल बेचकर दिखाएंगे।
मंगलवार को राजस्थान में हुई 10वीं किसान महापंचायत में तय उम्मीदों के मुताबिक भीड़ तो नहीं जुटी, लेकिन आन्दोलन को तेज करने का जज्बा सबमे नजर आया। लोगों के हौसले के बीच टिकैत ने ऐलान किया की अब 'जयराम' और 'जय भीम' के नारे एक साथ लगाने से ही देश बच पाएगा।
मंच पर पहुंचने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने सबसे पहले शहीद दिवस पर क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजली अर्पित की। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर बुलाई महापंचायत में दो दर्जन से अधिक सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। करीब तीन घंटे देरी से शुरू हुए महापंचायत में आए लोगों के बीच राकेश टिकैत ने जल्दी ही दिल्ली की फिर से घेराबंदी करने का ऐलान करते हुए कहा की बेरिकेट्स तोड़ने पड़े तो भी इस बार सबको तैयार रहना होगा।
कलेक्ट्रेट, विधानसभा, और संसद के बाहर एमएसपी पर तय दाम पर फसल बेचने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि साढ़े तीन लाख ट्रैक्टर दिल्ली बॉर्डर पर आज भी डटे हुए हैं, लेकिन अब युवाओं को भी जागना होगा। लगे हाथ 26 तारीख को भारत बंद के दौरान उन्होंने सभी से सहयोग देने की भी अपील की।
तीनों कृषि कानून मर चुके हैं, बस कोमा में हैं- योगेंद्र यादव
किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि ये आंदोलन किसानों के आत्मसम्मान को लौटाने, किसानों को उनकी राजनैतिक हैसियत बताने और एकजुट करने के लिहाज से पूरी तरह सफल रहा है। तीनों कृषि कानून मर चुके हैं, बस कोमा में हैं। पीएम मोदी के अड़ियल रुख के चलते इसका एलान नहीं हो रहा है।
यह हकीकत है कि एक भी फसल पर किसानों को केंद्र सरकार द्वारा तय की गयी एमएसपी नहीं मिल रही है। महिलाएं भी भगत सिंह बन सकती हैं बशर्ते हर शख्स में छुपे भगत सिंह को हमें पहचानना होगा।
बंगाल में पीएम कृषि कानून पर क्यों नहीं बोल रहे-युद्धवीर सिंह
किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि पीएम मोदी बंगाल की चुनावी जनसभाओ में कृषि कानून के फायदे के बारे में कुछ नहीं बोल रहे हैं। मतलब साफ है कि यह पूरी तरह गलत है। बस जमीन, बाजार और गल्ले पर कब्जे के लिए इसे बनाया गया है। हम कहते हैं कि एक-एक दाना तय एमएसपी पर ही खरीदा जाए।
सरकार ने 2 फीसदी व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए 60 फीसदी किसानों की चिंता छोड़ दी है। बीजेपी ने हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, लेकिन इन सात सालों में करीब 8 करोड़ लोगों की नौकरियां छीन ली है। दिल्ली में जल्द ही 50 लाख से 1 करोड़ किसान जमा होंगे। बस आन्दोलन के आगे बढ़ने के ऐलान का इंतजार करना है अब सभी को।
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