नई दिल्ली: किसान संगठनों और सरकार के बीच 8वें दौर की बातचीत शुरू हो गई है। किसान अब भी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। किसानों ने साफ कर दिया है, अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
केंद्र सरकार से बातचीत के लिए किसान नेताओं के प्रतिनिधिमंडल में पहुंचे एक किसान नेता ने कहा कि हमें उम्मीद है कि नए साल में इस बैठक में सफलता हासिल होगी। हालांकि इससे पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि उन्हें इस बैठक से कोई उम्मीद नहीं है।
किसान नेताओं ने केंद्र से बातचीत का सीधा प्रसारण करने की मांग की
किसान नेताओं ने आज होने वाली केंद्र सरकार और किसान यूनियनों के बीच 7वें दौर की वार्ता के रूप में केंद्र सरकार से अपनी बैठक का सीधा प्रसारण करने की मांग की है। किसान यूनियनों के नेताओं ने भी दोहराया है कि कृषि कानूनों को निरस्त करने से कम कुछ भी उन्हें स्वीकार्य नहीं होगा।
बैठक से पहले कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने उम्मीद जताई कि आज कोई समाधान निकल आएगा।
कब-कब बातचीत हुई और क्या निकला नतीजा:
किसानों और सरकार के बीच 7 दौर की बातचीत हो चुकी है, जिसमें से 6 दौर की बैठक पूरी तरह बेनतीजा रही थी। हालांकि, सातवें दौर की बैठक में 2 मुद्दों पर सहमति बनी थी।
पहला दौर: 14 अक्टूबर
सरकार और किसानों के बीच पहले दौर की बैठक 14 अक्टूबर को हुई थी।
मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए तो किसान संगठनों ने मीटिंग का बहिष्कार कर दिया।
दूसरी बैठक
इसके बाद 13 नवंबर को दूसरे दौर की बैठक हुई।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की। 7 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
तीसरी बैठक
इसके बाद 1 दिसंबर को तीसरे दौर की मीटिंग हुई।
किसान और केन्द्रीय मंत्रियों के साथ करीब तीन घंटे बात हुई। सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे यानि ये बैठक भी बेनतीजा रही।
चौथी बैठकइसके बाद 3 दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच चौथे दौर की बैठक हुई।
साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली। सरकार ने वादा किया कि MSP से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी, लेकिन ये बैठक भी बेनतीजा रही।
पांचवीं बैठक
5 दिसंबर को 5वें दौर की बैठक हुई।
सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे।
छठी बैठक
8 दिसंबर को गृहमंत्री अमित शाह के साथ किसानों की मीटिंग हुई।
भारत बंद के दिन गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों के साथ मुलाकात की। इसके अगले दिन सरकार ने 22 पेज का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान संगठनों ने इसे ठुकरा दिया।
सातवीं बैठक
इसके बाद 30 दिसंबर को सातवें दौर की बातचीत हुई।
दिल्ली के विज्ञान भवन में करीब 5 घंटे तक बैठक हुई। इस बैठक में 2 मुदों पर बनी सहमति।
किसानों ने सरकार के सामने 4 प्वाइंट एजेंडा रखा था, जिसमें से 2 पर तो बात बन गई है, लेकिन 2 पर मामला अटका हुआ है।
इन 2 मुद्दों पर फंसा है पेंच
किसान जहां तीनों कृषि कानून वापस लेने पर अड़े हुए हैं। वहीं, सरकार कानून वापस लेने को फिलहाल राजी नहीं है। सरकार कानून को वापस लेने की वजाय संशोधन को तैयार है।
दूसरा मुद्दा MSP का है। किसान MSP को कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं। वहीं, सरकार MSP को कानूनी नहीं बल्कि लिखित गारंटी देने को तैयार है।
आपको बताते दे कि 30 दिसंबर को किन 2 मुद्दों पर सरकार और किसानों के बीच बात बनी है।
इन 2 मुद्दों पर बन चुकी है सहमति
किसानों की मांग थी कि सरकार 'वायु गुणवत्ता प्रबंधन अध्यादेश-2020' में संशोधन करें। किसानों की इस मांग को मानने के लिए सरकार तैयार है। साथ ही किसानों को दंड से बाहर रखने की मांग भी सरकार ने मान ली है।
किसान बिजली संशोधन विधेयक-2020 को वापस लेने की मांग कर रहे थे। 7वें दौर की बैठक में सरकार ने किसानों की इस मांग को भी मान लिया है। सरकार बिजली संशोधन विधेयक-वापस लेने को राजी है। साथ ही सरकार ने समिति बनाने की मांग भी मान ली है।
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