नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ (JKCA) घोटाले में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला से पूछताछ की जा रही है। श्रीनगर में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आफिस में फारूक से पूछताछ को पार्टी ने राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। उनकी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस ने हालिया कदम को जम्मू-कश्मीर के दलों को विशेष दर्जा बहाल करने के लिए एक अभियान की शुरुआत को दबाने का हिस्सा करार दिया है।
फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह राजनीतिक प्रतिशोध है और जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति की बहाली को लेकर जम्मू-कश्मीर से छह दलों द्वारा गठबंधन से जुड़ा है। उन्होंने कहा, 'पार्टी जल्द ही इस ईडी के समन का जवाब देगी। यह पीपुल्स अलायंस के गठन के बाद किया गया और राजनीतिक प्रतिशोध से कम नहीं है। डॉक्टर साहब के निवास पर कोई छापे नहीं मारे जा रहे हैं।”
उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के छह दलों द्वारा राज्य की विशेष स्थिति की बहाली के लिए गठबंधन का उल्लेख कर रहे थे, क्योंकि पिछले साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने धारा 370 को खत्म कर दिया था। पार्टियों के बीच गठबंधन की घोषणा फारूक अब्दुल्ला के घर पर एक बैठक के बाद हुई। इस बैठक में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सजाद लोन, पीपुल्स मूवमेंट के नेता जावेद मीर, माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष मुजफ्फर शाह शामिल हुए। यह बैठक महबूबा की रिहाई के दो दिन बाद फारूक अब्दुल्ला द्वारा बुलाई गई थी।
अब्दुल्ला सहित जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (JKCA) के दस पदाधिकारियों पर खेल संस्था को उधार एजेंसी में बदलने और 2005 व 2012 के बीच कई संगीन खातों का संचालन करने का आरोप है। यह घोटाला मार्च 2012 में सामने आया था, जब जेकेसीए के कोषाध्यक्ष मंज़ूर वज़ीर ने पूर्व महासचिव मोहम्मद सलीम खान और पूर्व कोषाध्यक्ष अहसान मिर्ज़ा के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज की थी। वित्तीय घोटाले से जुड़े लगभग 50 नामों की एक सूची तैयार की गई। अब्दुल्ला जेकेसीए अध्यक्ष का पद तीन दशकों से अधिक समय तक रहे थे।
केंद्रीय एजेंसी ने फरवरी में जारी एक बयान में कहा, 'ईडी ने जेकेसीए के फंड के कथित गबन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 2.6 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की है।' जेकेसीए के पूर्व कोषाध्यक्ष अहसान अहमद मिर्जा और इसकी वित्त समिति के सदस्य मीर मंसूर गजनफर के खिलाफ संपत्ति की कुर्की के लिए अनंतिम आदेश जारी किया गया था।
ED का मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की पहली सूचना रिपोर्ट के आधार पर है, जिसके बाद की जांच एजेंसी ने JKCA के पूर्व पदाधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया, जिसमें महासचिव मोहम्मद सलीम खान और मिर्ज़ा शामिल हैं। सीबीआई ने फारूक अब्दुल्ला, खान, मिर्ज़ा, मीर मंज़ूर गज़न्फ़र अली, बशीर अहमद मिसगर और गुलज़ार अहमद बेग (जेकेसीए के पूर्व लेखाकार) के खिलाफ चार्जशीट दायर की, जिसमें बोर्ड द्वारा दिए गए अनुदानों में से 43.69 करोड़ रुपये के "जेकेसीए धन की हेराफेरी" की गई।
ईडी की जांच में पाया गया है कि वित्त वर्ष 2005-2006 से 2011-2012 (दिसंबर 2011 तक) के दौरान जेकेसीए को तीन अलग-अलग बैंक खातों में बीसीसीआई से 94.06 करोड़ रुपये मिले। हालांकि, JKCA के नाम पर कई अन्य बैंक खाते खोले गए थे, जिनमें ये धनराशि हस्तांतरित की गई थी। मौजूदा बैंक खातों के साथ इस तरह के अन्य बैंक खातों को बाद में जेकेसीए की धनराशि के लिए इस्तेमाल किया गया था।
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