दयाकृष्ण चौहान, नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कृषि को लेकर जो तीन नए कानून बनाए हैं, उनमें तीसरा एक्ट आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 [The Essential Commodities (Amendment) Ordinance, 2020] है। इसमें आवश्यक वस्तुओं के भंडारण को लेकर कानून बनाया गया है, जिसको लेकर किसान भी ज्यादा विरोध नहीं कर रहे हैं।
हालांकि किसान से लेकर आम लोगों को इस एक्ट के बारे में जानना चाहिए, क्योंकि हो सकता है कि आने वाले समय में इसपर भी बवाल हो।
1955 में नेहरू ने आवश्यक वस्तु एक्ट (The Essential Commodities Act) बनाया था, जिसको समवर्ती सूची की एंट्री नंबर 33 के तहत बनाया था। इस एक्ट में भी बहुत सी ऐसी सूची है, जिनपर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकारों के पास है। ऐसे में राज्य सूची के साथ कोई मतभेद ना हो, इसके लिए इसे एंट्री नंबर 33 के तहत पास कराया गया था।
क्या था 1955 में बना आवश्यक वस्तु एक्ट
अगर देश में जिनता गेंहू हुआ और उसका व्यापारियों ने भंडारण कर लिया। बाजार में गेंहू की कमी होने के बाद उसका रेट बढ़ना तय है, जिसके बाद व्यापारियों ने उसको दोगुने दाम पर बेच दिया गया। आवश्यक वस्तुओं का कोई भंडारण ना कर सके, इसके लिए आवश्यक वस्तु एक्ट (The Essential Commodities Act) बनाया गया था। इस एक्ट में एक लिस्ट है, जिसमें आवश्यक वस्तुओं के भंडारण की संख्या के बारे में लिखा गया है। उससे ज्यादा अगर किसी के पास मिला तो उसपर क्रिमिनल कैस होगा और इसमें अपने आप को बेगुनाह साबित करने की जिम्मेदारी भी उसकी ही होगी।
नए कृषि कानून में सरकार की समस्या यह है कि अगर वह कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ाती है और बड़े-बड़े गोदामों को जोड़ती है, तो उनको भंडारण करना ही पड़ेगा। लेकिन 1955 के एक्ट के तहत एक सीमा तक ही वस्तुओं को रखा जा सकता था, लेकिन केंद्र सरकार ने नए कानूनों में इसमें भी बदलाव किया। हालांकि सरकार ने दूसरे एक्ट में भी एक वाक्य सरकार ने लिखा है कि आवश्यक वस्तु एक्ट (The Essential Commodities Act) के प्रावधान इसपर लागू नहीं होंगे, लेकिन सरकार ने सुविधा के लिए अलग से एक छोटा सा एक्ट बनाया, जिसके आधार पर 1955 के एक्ट में कुछ लाइन बदल गई हैं।
नए एक्ट में सरकार ने क्या किया है बदलाव
खाद्य वस्तुओं के भंडारण को लेकर जो नियम 1955 के एक्ट में बनाए गए थे, वह अब लागू नहीं होंगे। अब वह सिर्फ असाधारण परिस्थितियों में ही लागू होंगी। इसका अर्थ यह है कि खाद्य वस्तुएं सामान्य तौर पर आवश्यक वस्तु की श्रेणी में नहीं आएगी, कोई उसका भंडारण कर सकता है कोई समस्या नहीं है। इसके पीछे का तर्क यह दिया है कि हम खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हैं और दूसरे देशों को भी भेजते हैं, ऐसे में हमारे पास डिमांड कम हैं और सप्लाई ज्यादा है। जब हमारे पास सप्लाई ज्यादा है तो हम दबाव में क्यों रहें। हो सकता है कि भंडारण के बाद कंपनियां नई-नई वस्तु बनाकर विदेश में आसानी से भेज सकता है, जिससे देश को भी फायदा होगा।
क्या हैं असाधारण परिस्थितियां
1: युद्ध, अकाल और प्राकृतिक आपदाओं में व्यापारियों को आवश्यक वस्तुओं के भंडारण की अनुमति नहीं होगी।
2: अगर किसी भी चीज के दाम असाधारण तरीके से बढ़ते हैं तो उस समय भी आवश्यक वस्तुओं के भंडारण की अनुमति नहीं होगी। इसमें भी कहा गया है कि सब्जी, फल और फूल जैसी चीजों का दाम अगर पिछले एक साल में 100 फीसदी बढ़ गया है। इसके साथ ही अनाज और तेल का दाम पिछले एक साल में 50 फीसदी बढ़ गया है तो असाधारण परिस्थितियां पैदा हो गई हैं और इनको आवश्यक वस्तु मान लिया जाएगा। इसके साथ ही इसका भंडारण रोक दिया जाएगा।
इसके लिए सरकार एक नोटिफिकेशन निकालकर यह कह सकती है कि असाधारण परिस्थितियों के कारण इन वस्तुओं का भंडारण नहीं हो सकता है।
असाधारण परिस्थितियों में यह कर सकते हैं भंडारण
हालांकि एक्ट में कहा गया है कि ऐसी स्थिति में भी दो अपवाद रहेंगे। इसमें सबसे पहले हैं कि अगर कोई फूड प्रोसेसिंग यूनिट है तो उसकी जो क्षमता है उसे उतने सामान के भंडारण की अनुमति मिलती रहेगी, उसको बाध्य नहीं किया जा सकता।
उदाहरण: कोई कंपनी प्रतिदिन 100 किलो आलू के चिप्स बनाती है तो उसको रोजाना 100 किलो आलू के भंडारण से सरकार भी नहीं रोक सकती है।
इसके साथ ही यदि कोई कंपनी फूड आइट्मस का एक्सपोर्ट करती है और उसके पास ऑर्डर है, जिसे वह दिखा देता है तो उसे उतने सामान के भंडारण की छूट उस समय भी मिलेगी।
इस एक्ट की खामी और खूबी
खूबी: अब हमारे पास खाद्यान्न की कोई कमी नहीं है, तो हमें बाजार के दूसरे खिलाड़ियों को इसमें एंट्री दे देना चाहिए। इसमें कंप्टीशन बढ़ेगा और दुनिया के दूसरे देशों से मुकाबला कर सकते हैं।
खामियां: इसके जरिए कृत्रिम मांग पैदा होने का खतरा है, जिसके लिए सरकार को बीच-बीच में नजर रखनी होगी। वहीं कीमत बढ़ाने के लिए भंडारण किया जा सकता है।
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