के.जे.श्रीवत्सन, जयपुर: राजस्थान में हर रोज जिस तरह से कोरोना (Corona) संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, उसे ध्यान में रखकर अब अशोक गहलोत सरकार ने प्रदेश की ऑक्सीजन सप्लाई कंपनियों पर दूसरे राज्य में सप्लाई करने पर रोक ही लगा दी है। अब दूसरे राज्यों में ऑक्सीजन सप्लाई करने से पहले इन कंपनियों को पहले रोजाना 50 हजार लीटर ऑक्सीजन राजस्थान के अस्पतालों को सप्लाई करनी होगी।
वैसे राजस्थान के सबसे बड़े कोविड डेडिकेटेड अस्पताल जयपुर के RUHS में हर रोज 800 से 1000 ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ती है और इस लिहाज से देखा जाए, तो कोरोना के इलाज में जुटे दूसरे अस्पतालों में यह संख्या राज्यभर में 4 हजार से भी ज्यादा है।
यहां पर एक साथ करीब 500 कोरोना मरीजों के इलाज की अभी क्षमता है। चूंकि रिकवरी रेट अच्छी होने के चलते हर रोज अच्छी खासी तादात में मरीज ठीक होकर घर भी जा रहे हैं, लेकिन रोजाना 300 से भी ज्यादा नए संक्रमित मरीजों की नई संख्या जयपुर में आने के चलते अस्पतालों में भी अब बेड और वेंटीलेटर्स की कमी हो गई है।
ऐसे में आम लोगों को राहत दिलाने के लिए अशोक गहलोत सरकार ने महज 1200 रुपए में प्राइवेट अस्पतालों और पंजीकृत लैब को कोरोना टेस्ट करने का नियम बना दिया है, लेकिन अस्पतालों में लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या के चलते अब ऑक्सीजन सिलेंडर को दुसरे राज्यों में भेजने पर भी रोक लगा दी है। सरकार ने निर्देश जारी किया है अलवर जिले में भिवाड़ी की ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली दो कंपनियों को पहले रोजाना राजस्थान के सरकारी अस्पतालों के लिए स्वास्थ्य विभाग को 50 किलोलीटर आक्सीजन की सप्लाई करनी ही होगी। इसके लिए कंपनी में तहसीलदार ओर पटवारी की ड्यूटी लगा दी गई है।
राजस्थान में ये ऑक्सीजन राज्य में भिवाड़ी की आइनॉक्स एयर प्रोडेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से आ रहा है। यह कंपनी तीन दिन पहले तक पंजाब, हरियाणा, दिल्ली उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को भी ऑक्सीजन की सप्लाई करती थी, लेकिन अब इसे पहले रोजाना 50 हजार लीटर ऑक्सीजन राजस्थान के अस्पतालों को सप्लाई का निर्देश जारी किया गया है।
कोरोना केस एक लाख पार
राजस्थान में कोरोना मरीजों की संख्या अब 1 लाख 6 हजार से भी पार कर चुकी है, जिसमें से 17,541 एक्टिव मरीज हैं। कोरोना का संक्रमण बढ़ने से प्रदेश के कई बड़े अस्पतालों कोटा जोधपुर, उदयपुर, जयपुर सहित कई अस्पतालों में पिछले 10 दिन से ऑक्सीजन की कमी होने लग गई थी। ऐसे में रोजाना 3 से 4 टैंकरों में ऑक्सीजन राजस्थान के अस्पतालों में सप्लाई की जा रही है। सरकारी दावे के मुताबिक इस वक्त उसके पास राज्यभर में 3018 ऑक्सीजन बेड हैं, जिनमें केवल 872 ही उपयोग में आ रहे हैं। जबकि 913 आईसीयू बेड भी हैं, जिनमें 406 और 490 वेंटिलेटर में से 113 पर ही मरीज भर्ती हैं। भविष्य की जरूरतों को देखते हुए जयपुर के आरयूएचएस, जयपुरिया हास्पिटल तथा रेलवे हास्पिटल में 50-50 नए ऑक्सीजन बेड भी लगाए गए हैं।
इसके साथ ही संभागीय मुख्यालयों के अस्पतालों के साथ ही जिला अस्पतालों में भी ऑक्सीजन बेड्स की संख्या बढ़ाई जा रही है। प्रदेश में कोविड-19 के लिए 130 डेडिकेटेड अस्पताल के साथ 292 कोविड केयर सेंटर स्थापित किए गए हैं। भले ही सकरारी दावे कुछ भी हो लेकिन लगातार बढ़ती जा रही ऑक्सीजन सिलेंडरों की मांग के चलते इनकी कालाबाजारी की भी कुछ खबरें सामने आने लगी है। करीब 6000 हजार लीटर गैस की क्षमता वाले ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत 150 रुपए है, लेकिन अब उसे दोगुनी रेट्स यानी की एक सिलेण्डर के 250 से 300 रुपए तक में बेचा जा रहा है।
बताया जा रहा है कि जोधपुर, उदयपुर संभाग के सरकारी और निजी अस्पतालों में जो सप्लाई अब तक अहमदाबाद से हो रही थी, गुजरात में केस बढ़ने पर वहां से ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति को रोक दिया गया। ऐसे में अब भिवाड़ी की कंपनी से 16 हज़ार लीटर क्षमता वाले टैंकरों के जरिए जयपुर, जोधपुर और कोटा के लिए सप्लाई भेजी जा रही है। यही कारण है की सप्लाई में गेप आने के साथ ही आए दिन ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई बाधित होना सरकारी और निजी अस्पताल के लिए भी आम है और इन्हें भी निजी कंपनियों से ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदना पड़ता है।
हालांकि इन सबके बीच राजस्थान के लिए अच्छे संकेत यह हैं की प्रदेश में संक्रमित हुवे मरीजों की रिकवरी रेट भी बढ़कर 82.30 फीसदी तक हो चुकी है जबकि देश में यह दर महज 77.2 फीसदी ही है। यह रिकवरी दर कर्नाटक, गुजरात, आंध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र आदि के मुकाबले राजस्थान में बहुत बेहतर है। यही नहीं राजस्थान में 15,577 एक्टिव केस हैं, जबकि राजस्थान से कम जनसंख्या वाले आंध्र एवं कर्नाटक में 6 गुना से भी अधिक यानी करीब 1-1 लाख एक्टिव केस हैं।
इसके साथ ही राजस्थान एक फीसदी से भी कम मृत्यु दर न्यूनतम रखने में भी कामयाब रहा है. वर्तमान में राजस्थान में कोरोना से औसत मृत्यु दर 1.26% है, जबकि राष्ट्रीय औसत 1.72 प्रतिशत, गुजरात में 3 प्रतिशत, मध्यप्रदेश में 2.15, दिल्ली में 2.41, यूपी में 1.48% है। इन सबके लिए कहा जा रहा है कि सरकार के कुछ ऐसे कदम समय पर उठाए गए थे जो की कारगर हथियार साबित हुवे मसलन सरकारी अस्पताल में बेड भर भरने पर ही निजी चिकित्सालयों में भी कोविड रोगियों का फ्री इलाज का आदेश दिया गया।
साथ ही स्वयं के खर्चे पर निजी अस्पतालों में इलाज कराने वालों के लिए उचित दरों पर इलाज दिलाने के लिए निजी अस्पतालों व लैब में जांच-उपचार की दरें तय कर दी गई। यही नहीं, निजी अस्पतालों के लिए यह व्यवस्था भी गई की कम गंभीर रोगियों को 2000 रूपये से लेकर 4000 रूपये तक की दरों पर नजदीकी होटल में भी रखकर इलाज दिया गया, ताकि गंभीर रोगियों को आक्सीजन व आईसीयू बेड की कमी न रहे।
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