मुंबई: महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के इस्तीफे के बाद अब गृह विभाग की जिम्मेदारी दिलीप पाटिल की दी गई है। राजनैतिक कॅरियर के शुरुआती दौर में पाटिल NCP प्रमुख शरद पवार के पीए रहे। वे 1990 में पहली बार चुनाव जीते और महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य बने। पाटिल महाराष्ट्र सरकार में रहते हुए कई मंत्रालय भी संभाल चुके हैं।
एंटीलिया केस की जांच के दौरान सचिन वझे के निलंबन और पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के ट्रांसफर के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में 100 करोड़ की वसूली का ये बड़ा मामला सामने आया। मामले में एडवोकेट जयश्री पाटिल की याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट CBI जांच के आदेश दे दिए हैं। इसके बाद ही गृहमंत्री अनिल देशमुख ने इस्तीफा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सौंप दिया।
हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इससे पहले जयश्री को उनकी याचिका पर कड़ी फटकार भी लगाई थी। जस्टिस एसएस शिंदे की बेंच ने कहा था, 'हमारा विचार है कि इस तरह की याचिकाएं सस्ते प्रचार के लिए दायर की जाती हैं। आप कहती हैं कि आप अपराधशास्त्र (Criminology) में डॉक्टरेट हैं, लेकिन आप की ओर से ड्राफ्ट किया एक भी पैराग्राफ हमें दिखाएं।
हाईकोर्ट ने कहा कि, यह पूरा मामला FIR के इर्दगिर्द घूम रहा है। जयश्री पाटिल ने पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करवाने का प्रयास किया था, लेकिन उनकी FIR दर्ज नहीं हुई। हम इस बात से सहमत हैं कि यह एक अभूतपूर्व मामला है। अनिल देशमुख पुलिस विभाग को लीड करने वाले गृह मंत्री हैं। इस मामले में एक इंडिपेंडेंट जांच होनी चाहिए, इसलिए CBI फिलहाल बिना FIR दर्ज किए इस मामले की जांच करे और 15 दिन में अपनी प्राथमिक रिपोर्ट पेश करे।
पूर्व पुलिस कमिश्नर ने लगाए थे ये आरोप:
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने गृह मंत्री देशमुख पर आरोप लगाते हुए कहा था कि देशमुख ने निलंबित API सचिव वझे को 100 करोड़ रुपए वसूली का टारगेट दिया था। परमबीर सिंह ने दावा करते हुए कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी ये बात बताई थी, लेकिन कुछ दिन बाद ही उनका ट्रांसफर कर दिया गया था।
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