नई दिल्ली: किसान आंदोलन पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर अस्थायी रोक लगाते हुए एक 4 सदस्य कमेटी का गठन किया है। हालांकि कमेटी के गठन पर विपक्ष समेत किसान संगठनों ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अब कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कानूनों की जांच के लिए कमेटी बनाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मखौल उड़ाया और सवाल किया कि क्या इसे शीर्ष अदालत ने नियुक्त किया है या प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी।
ट्विटर पर तंज कसते हुए दिग्विजय सिंह ने यह भी सवाल किया कि कुछ व्यक्ति कमेटी का हिस्सा क्यों नहीं थे। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, "किसान सावधान रहें, क्या यह माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुझाई गई समिति है या या मोदीजी की?" सिंह ने कमेटी के कुछ सदस्यों के बारे में जानकारी देने वाला एक लिंक भी साथ में ट्वीट किया।
फार्म कानूनों की जांच करने के लिए संसद के बाहर एक कमेटी की नियुक्ति के निर्णय पर सवाल उठाने के साथ दिग्विजय ने कहा, "कृपया सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कृषि बिलों का अध्ययन करने के लिए गठित कमेटी के सभी चार सदस्यों के हालिया पदों पर नज़र डालें: 1. अशोक गुलाटी 2. अनिल घणावत 3. डॉक्टर पीके जोशी 4. भूपिंदर सिंह मान (एसआईसी)।"
दिग्विजय सिंह ने कृषि कानूनों पर जेपीसी की मांग की
माननीय सुप्रीम कोर्ट को संसद को कानून वापस भेजना चाहिए और जीओआई को सुझाव देना चाहिए कि इस मुद्दे को हल करने के लिए एक संयुक्त संसदीय कमेटी का गठन किया जाए।
मंगलवार को, सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों पर रोक लगा दी और इसकी जांच करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जोकि किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम और किसान (सशक्तीकरण) और मूल्य संरक्षण और कृषि सेवा अधिनियम पर समझौता (संरक्षण) पर किसान संगठनों से बात करेंगी।
किसान समूह पिछले दो महीनों से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और मांग की है कि उन्हें वापस ले लिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद किसान समूहों ने चेतावनी दी है कि वे विरोध जारी रखेंगे और गणतंत्र दिवस पर एक रैली भी निकालेंगे।
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