नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा के प्रदर्शनकारी किसानों के लिए शहर के नौ स्टेडियमों को अस्थायी जेल में तब्दील करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सरकार से इस बारे में मांग की थी, क्योंकि केंद्र द्वारा पारित कृषि कानूनों के विरोध में किसान धरना प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करना चाह रहे हैं।
दिल्ली सरकार की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि अहिंसक विरोध हर भारतीय का संवैधानिक अधिकार है। उन्हें इसकी वजह से जेल में नहीं डाला जा सकता है। इसके अलावा दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से किसानों की मांग तुरंत मानने के लिए कहा। दिल्ली सरकार का कहना है कि किसानों की मांग जायज है।
दिल्ली पुलिस ने कहा था कि इस बात की संभावना है कि इनमें से कुछ प्रदर्शनकारी जानबूझकर असंवैधानिक या हिंसक तरीका अपना सकते हैं। दिल्ली पुलिस ने राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी। दिल्ली पुलिस ने कहा कि सीमाओं पर स्थिति को देखते हुए हमें लगता है कि हमें लोगों को रखने के लिए एक जगह की आवश्यकता होगी।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए AAP विधायक राघव चड्ढा ने ट्वीट किया, 'मैं दिल्ली सरकार से अस्थायी जेलों की स्थापना के लिए अनुमति के इनकार करने का आग्रह करता हूं। हमारे देश का किसान न तो अपराधी है और न ही आतंकवादी। शांति से विरोध करने का अधिकार भारतीय संविधान में निहित है - अनुच्छेद 19 (1) और विरोध प्रदर्शन एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक अधिकार है।”
AAP विधायक सौरभ भारद्वाज ने भी ट्वीट किया, "मुझे लगता है कि यह सबसे अमानवीय बात है, जो हम अपने किसानों के साथ कर रहे हैं।”
इससे पहले भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर केंद्र सरकार को घेरा था। केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, 'केंद्र सरकार के तीनों खेती बिल किसान विरोधी हैं। ये बिल वापिस लेने की बजाय किसानों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने से रोका जा रहा है, उन पर वॉटर कैनन चलाई जा रही हैं। किसानों पर ये जुर्म बिलकुल ग़लत है। शांतिपूर्ण प्रदर्शन उनका संवैधानिक अधिकार है।'
वहीं कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। कई जगहों पर किसानों का प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है । अंबाला, सिंघु बॉर्डर, बहागुरगढ़ बॉर्डर पर किसानों और पुलिस में जोरदार झड़प हुई है। किसानों के हुजूम को देखते हुए दिल्ली से लगने वाली सभी सीमाएं सील कर दी गई हैं।
पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान अपने दिल्ली चलो आंदोलन के तहत राष्ट्रीय राजधानी के रास्ते को रोककर बैठे हैं। आंदोलनकारी किसानों ने अपना मार्च फिर से शुरू किया और शुक्रवार सुबह दिल्ली की सीमा पर पहुंच गए। किसानों के अनुसार, ये कानून उनको सरकार की खरीद प्रणाली को कमजोर करते हैं, जिसके हिस्से के रूप में सरकार उनसे एमएसपी पर गेहूं और चावल खरीदती है।
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