के जे श्रीवस्तन, जयपुर: राजस्थान में कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण के रोज आते मामले लगातार ऐसे कीर्तिमान बनाते जा रहे हैं जिसे शायद कोई भी पसंद नहीं करेगा। आंकड़ों में लगातार हो रहे इजाफे के लोगों को फिर से सहमा कर रख दिया है। और हर रोज बढ़ते आंकड़े बता रहे हैं कि सूबे में कोरोना संक्रमण लगातार बेकाबू होता जा रहा है। कहा जा रहा है की अस्पतालों में लगातार बढ़ रहे संक्रमित मरीजों की संख्या और कम होते बेड के चलते सैंपलिंग को भी 50 फीसदी तक घटा दिया गया है।
हर रोज अब राजस्थान में 24 घंटों में 1500 से भी नए मरीज मिल रहे हैं और अमूमन हर रोज राजस्थान में 12 से 14 संक्रमित मरीजों की मौत भी हो रही है। सबसे ज्यादा डरावने आंकड़े राजधानी जयपुर से मिल रहे हैं। यहां अनलॉक-4 के आते-आते हालत किस कदर बेकाबू होते जा रहे हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की लगातार तीन दिनों से अकेले जयपुर में ही 370 से भी ज्यादा नए मरीज सामने आ रहे हैं। इसे मिलकर गुलाबी शहर में अब तक 12 हज़ार के करीब कोरोना पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं। जबकि पुरे राज्य में मरने वाले कुल संक्रमित 1102 मरीजों में से 81 संक्रमित मरीजों की अकेले जयपुर में मौत हो चुकी है।
आंकड़े इसलिए भी चौंकाने और डराने वाले हैं क्योंकि राजस्थान के कुल 33 में से 21 जिले संक्रमण के लिहाज़ से हाट स्पॉट बन चुके हैं। यहां पर संक्रमितों की संख्या 1000 को भी पार कर चुकी है और लगातार इन जिलों में यह संख्या कम होने की बजाय बढती ही जा रही हैं। इनमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह निर्वाचन जिला जोधपुर भी शामिल है। जयपुर और जोधपुर में 10 हज़ार से अधिक और अलवर, कोचिंग सिटी कोटा में 5 हजार से अधिक मरीज अब तक मिले हैं। अलवर में तो सैंपलिंग के मुकाबले पॉजिटिव मिलने वाले मरीजों कीदर सबसे अधिक है।
ऊपर से इस तरह की खबरे भी चिंताओं को और बढ़ा देती है की इन 21 शहरों में लगातार बढ़ रहे मामलों के बावजूद भी हर महीने 50 हजार से 1 लाख के बीच ही सेम्पल लिए जा रहे हैं यानी की हर जिले में प्रतिदिन 1 से 2 हज़ार से सेम्पल लिए जा रहे हैं. यानी की कहने को तो राजस्थान ने हर रोज 45 हज़ार के करीब टेस्ट करने की क्षमता विकसित कर ली है, लेकिन अनुपातिक लिहाज़ से 25 हज़ार के आसपास ही हर रोज जांचे हो पा रही है।
कहा तो यह भी जा रहा है की अगस्त महीने में सैंपलिंग 50 फीसदी तक घटा दी गयी है,क्योंकि जिनके सैंपल लिए जा रहे हैं। उनके संक्रमित मिलने वालों की दर भी दोगुनी रफ़्तार से बढ़ी है। एक समय भीलवाडा कोरोना संक्रमण के लिहाज़ से पुरे देश के लिए चिंता का विषय था। इसे रोकने के लिए यहां जबरदस्त मेहनत भी की गयी और भीलवाडा मोडल बनकर उभरा लेकिन पिछले तीन महीनों में यहां हालत इस कदर फिर से बिगड़ने लगे हैं की मरीज मिलने की दर यहां 7 गुना तक बढ़ गयी है। यही नहीं प्रदेश में 31 जुलाई तक प्रति सौ सेम्पल पर संक्रमित मरीज मिलने की दर 2.75 फीसदी थी जो की अकेले अगस्त महीने में दुगनी होकर 5.50 फीसदी के करीब पहुंच गयी है। कोरोनामापी पर राजस्थान के यह आंकड़े और कोरोना के पीक पर होने के दौरान प्रसाशन का यह उलटा ट्रेंड सबके लिए अलार्म बन गए हैं जो की यह संकेत दे रहा हैं कि यदि आम जनता अब भी नहीं सुधरी तो आने वाले दिनों में हालत भी नहीं सुधरने वाले हैं।
आम जनता के हालातों की बात तो छोडिये कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए के नियम कायदों को बनाकर उसे खुद पहले कड़ाई से अमल में लाने वाले राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, मुख्यमंत्री दफ्तर और यहां तक की स्वास्थ्य भवन के कर्मचारी भी लगातार संक्रमित हो रहे हैं। राजभवन सचिवालय को तो पूरी तरह से खाली भी करवा दिया गया है और ये हालत बताने के लिए काफी हैं की राजधानी जयपुर में कोरोना के हालत लगातार बेकाबू होते जा रहे हैं। इनमें से भी सबसे ज्यादा ख़राब हालत, मानसरोवर, सांगानेर मालवीय नगर जगतपुरा और दुर्गापुरा के इलाके हैं। जहां की कामकाज के लिए घरों से बाहर निकली भीड़भाड़ पर ना तो काबू किया जाना संभव हो पा रहा है और ना ही कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों को रोकना। झोटवाडा इलाका तो मानों कोरोना का नया एपिसेंटर बनता जा रहा है। शहर के बाहरी इलाकों में भी अब यह संक्रमण तेजी से पैर फैलाने लगा है।
राजस्थान के चिकित्सा और स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा से जब इसे लेकर सवाल किया जाता है तो उनका जवाब होता है की ज्यादा जांचे हो रहे हैं और सरकार को इस बात की तसल्ली है की जितने मरीज मिलते हैं उससे कई ज्यादा ठीक भी होकर हर रोज अस्पतालों से वापस अपने घर जा रहे हैं। यही नहीं अन्य राज्यों की तुलना में मृत्यु दर भी यह काफी कम ही है।
मंत्रीजी की बात तसल्ली देने वाली भी हो सकती है कि जयपुर सहित समूचे राजस्थान में कोरोना से मृत्यु दर कुछ कम हुई हैं लेकिन संक्रमण के लगातार बढ़ते मामले चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के साथ आम लोगों के लिए भी बेहद ही डरावने हैं। जो की यह सवाल भी उठाते हैं की रोज संक्रमित होते नए मरीजों की लंबी होती यह चेन जयपुर में कहीं कम्युनिटी स्प्रेडिंग का कारण तो नहीं बन रही है।
वैसे कोरोना संक्रमन के बढ़ते कारणों के पीछे आम लोगों की इसे लेकर बरती जा रही अब भी लापरवाहियां ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार कही जा सकती है। सोशल डिस्टेंसिंग को तो मानो लोगों ने भूलना ही शुरू कर दिया है। मास्क लगाए रखने के प्रति भी सरकारी सख्ती बेहद ही ज्यादा नजर नहीं आ रही है।
फिलहाल तो कहा जा सकता है की अगस्त में जहां कोरोना संक्रमित रोगियों के मिलने की दर दुगनी हो गयी है लेकिन सरकार के तमाम दावों के बावजूद भी राजस्थान के 33 में से एक भी जिले में जांचे डबल नहीं हुई है। ऐसे में यही देखना होगा की कोरोना का यह कहर अब कहा जाकर नियंत्रित होता है।
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