नई दिल्ली: देश में कोरोना महामारी थमने का नाम नहीं ले रही है, ऐसे में एक अन्य बीमारी ने उसका साथ पकड़ लिया है, जिसने डॉक्टरों के माथे पर भी बल जा दिया है। जानकारी के अनुसार, कोरोना के अलावा देश में मौसमी बीमारियों ने चिंता बढ़ा दी है। बदलते मौसम के साथ, इन्फ्लूएंजा और टाइफाइड से होने वाले मच्छरों के कारण डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया का खतरा बढ़ जाता है। इन दिनों डेंगू बढ़ रहा है। कोरोना और डेंगू का बढ़ता प्रकोप भी खतरनाक होता जा रहा है। दोनों रोगों के हमलों से जूझ रहे रोगियों के उपचार के लिए कोई मानक प्रोटोकॉल भी नहीं है। डॉक्टर भी इस समय मुश्किल में हैं।
कोरोना और डेंगू का दोहरा प्रसारण
वर्तमान में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को कोरोना के इलाज के लिए दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें एक दिन बाद डेंगू का भी पता चला था। उन्हें गुरुवार शाम साकेत के मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह 14 सितंबर को कोरोना पाए गए। विशेषज्ञों का कहना है कि संतुलित प्रयासों की आवश्यकता है, क्योंकि कोरोना और डेंगू के बढ़ते संक्रमण से पीड़ित रोगियों के उपचार के लिए कोई मानक प्रोटोकॉल नहीं है।
विशेषज्ञों की अलग-अलग प्रतिक्रिया
राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक, डॉक्टर बीएल शेरवाल ने कहा कि दोनों बीमारियों का कोई खास इलाज नहीं है। इससे डॉक्टरों के लिए मरीज का इलाज करना मुश्किल हो गया है। कोरोना और डेंगू दोनों में लक्षणों के आधार पर उनका इलाज किया जाना है और यह एक विरोधाभासी बीमारी भी है। दूसरी ओर, फोर्टिस अस्पताल के फेफड़ों के विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों के बीच संक्रमण की स्थिति में एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। पहले हमें यह देखना होगा कि कौन सी बीमारी अधिक परेशानी पैदा कर रही है। इस तरह से उपाय निर्धारित किया जाता है। वायरस एक संक्रमण के कारण होता है लेकिन यह स्थिति डॉक्टरों और रोगियों के लिए असामान्य है।
एक अमेरिकी विश्वविद्यालय के साथ किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना संक्रमण उन रोगियों में अशुद्धि पैदा करता है, जो पहले डेंगू के लिए एंटीबॉडी विकसित कर चुके हैं। आरटी-पीसीआर जांच में भी यही हो रहा है। लेकिन इसके लिए कुछ भी कहना अतिशयोक्ति होगी।
सबसे अच्छा उपाय सावधानी
जीटीबी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक राजीव रौतेला का कहना है कि सबसे अच्छा तरीका है, जितना संभव हो उतना सावधान रहें। मच्छरों के प्रजनन के आधार पर पानी न छोड़ें। दोनों बीमारियों का कोई इलाज नहीं है। इसका इलाज केवल लक्षणों के आधार पर किया जाता है। लोगों को इससे सावधान रहने की जरूरत है।
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