नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के साथ हिरनकी गांव का दौरा कर बॉयो डीकंपोजर केमिकल के छिड़काव का पराली पर पड़ने वाले प्रभावों का जायजा लिया। सीएम केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली ने पराली का बहुत ही सस्ता और आसान सामधान दे दिया है। पड़ोसी राज्यों ने पराली के समाधान के लिए कुछ नहीं किया, इसलिए किसान मजबूर होकर पराली जलाते हैं। पूसा इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार किए गए बॉयो डीकंपोजर केमिकल के छिड़काव से पराली खाद में बदल रही है। अभी तक सरकारें पराली के समाधान पर बहानेबाजी कर रही थीं, लेकिन अब इनके पास कोई बहाना नहीं बचा है।
हम सुप्रीम कोर्ट को भी बताएंगे कि पराली के समाधान के लिए बॉयो डीकंपोजर केमिकल का छिड़काव बहुत ही प्रभावशाली है। वहीं, पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पड़ोसी राज्यों ने पराली के समाधान को लेकर कदम उठाया होता, तो आज दिल्ली के लोगों को कोरोना काल में प्रदूषण का जहर नहीं पीना पड़ता। दिल्ली के प्रदूषण में करीब 40 प्रतिशत योगदान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में जलाई जाने वाली पराली का है।
'पड़ोसी राज्यों ने पराली के समाधान के लिए कुछ नहीं किया, इसलिए किसान मजबूर होकर पराली जलाते हैं'
हिरनकी गांव में बाॉयो डीकंपोजर प्रक्रिया का निरीक्षण करने के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हर साल पराली जलने की वजह से जो धुंआ उठता है, उससे प्रदूषण बढ़ता है। मीडिया की रिपोर्ट और सेटेलाइट की फोटो से पता चलता है कि आसपास के राज्यों में, खासकर पंजाब में काफी मात्रा में पराली जलने की घटनाएं हो रही हैं। एक तरफ, किसान खुद भी बहुत दुखी है। जब किसान पराली जलाता है, उसको खुद भी काफी प्रदूषण बर्दाश्त करना पड़ता है और उस पूरे गांव को बहुत ज्यादा प्रदूषण बर्दाश्त करना पड़ता है। आसपास के राज्यों की सरकारों ने उन किसानों के लिए कुछ भी नहीं किया। इसलिए किसानों को पराली जलाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली का सारा धुंआ पूरे उत्तर भारत में फैल जाता है। इस दिशा में दिल्ली सरकार ने पूसा इंस्टीट्यूट के साथ मिल कर इस बार एक अहम कदम उठाया है। दिल्ली सरकार ने दिल्ली के सारे खेतों के अंदर पूसा इंस्टीट्यूट ने जो बाॅयो डीकंपोजर केमिकल बनाया है, उसका छिड़काव किया। हम लोगों ने किसानों के खेतों में केमिकल का छिड़का बीते 13 अक्टूबर को किया था और आज 4 नवंबर है। आज यहां पर हम देख रहे हैं कि खेत में पूरा पराली गल चुकी है और पूरी तरह से खाद में बदल चुकी है। अब किसान अपने खेत में बुवाई का काम कर सकते हैं।
'दिल्ली ने पराली का समाधान दे दिया है, अब किसी सरकार के पास कोई बहाना नहीं है'
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों ने पहली बार पूसा इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर पराली का एक समाधान दिया है। अभी तक कहा जा रहा था कि क्या करें? पराली का समाधान नहीं हो सकता है। लेकिन पूसा इंस्टीट्यूटी द्वारा तैयार किया गया बाॅडो डीकंपोजर केमिकल से पराली का समाधान संभव है और यह समाधान काफी सस्ता है और इतना अच्छा समाधान है कि इस केमिकल के इस्तेमाल से पराली खेत में गल कर अब खाद में बदल रही है। मैं उम्मीद करता हूं कि यह आखरी साल होगा, जब हम पराली की वजह से प्रदूषण बर्दाश्त कर रहे हैं। अब किसानों को परेशान करने का किसी सरकार के पास कोई बहाना नहीं है। किसान पराली की वजह से बहुत दुखी हो चुके हैं, वो पराली नहीं जलाना चाहते हैं। मेरी पंजाब और हरियाणा के बहुत किसानों से बात हुई है, वो पराली नहीं जलाना चाहते हैं।
अब हमें पराली का समाधान मिल गया है। हम सुप्रीम कोर्ट को भी बताएंगे कि यह समाधान बहुत ही प्रभावशाली है। आज यहां पर किसान भी खड़े थे, केमिकल के छिड़काव से पराली को खाद में बदलते देख कर किसान भी बहुत खुश हैं। पूसा इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने भी कहा है कि वे बाॅडो डीकंपोजर केमिकल के परिणाम से बहुत ही संतुष्ट हैं। इसलिए अब पराली का समाधान है। अब सभी सरकारों को दिल्ली की तरह ही पराली का समाधान करना चाहिए। पराली का समाधान करने की अब सरकारों की जिम्मेदारी है, अब कोई सरकार यह बहाना नहीं बना सकती है कि हमारे पास समाधान नहीं है। यह समाधान इतना सस्ता है कि दिल्ली के अंदर केवल 20 लाख रुपए की लागत से ही पूरे दिल्ली में बाॅडो डीकंपोजर केमिकल का छिड़काव हो गया है, यह लागत ज्यादा नहीं है।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.