नई दिल्ली: भारत से मुंह की खाने के बाद चीन अब पाकिस्तान के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहा है। सरकारी सूत्रों ने खुफिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि लद्दाख में सीमा गतिरोध के बीच पाकिस्तान ने चीन को निर्देश दिया है कि जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए बड़ी मात्रा में हथियारों और गोला-बारूद को पहुंचाया जाए।
सूत्रों ने बताया कि सरकार तक पहुंचने वाले खुफिया इनपुट्स से पता चलता है कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई को चीन ने निर्देश दिया है कि वह जम्मू-कश्मीर में हथियारों पहुंचाने की एक योजना को अंजाम दे। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में सुरक्षाबलों द्वारा किए गए हाल ही बरामद किए गए हथियारों से इस बात का खुलासा हुआ है, क्योंकि बरामद किए गए अधिकांश हथियार चीन के हैं।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय सुरक्षा बलों ने घुसपैठ की कोशिश को पूरी तरह से नाकाम किया हुआ है। घाटी में हिंसा को बढ़ाने के लिए पाकिस्तान न तो आतंकवादियों और न ही हथियारों को घुसपैठ करा पा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान की आईएसआई को अधिकतम घुसपैठियों को भारत में धकेलने का अल्टीमेटम दिया गया है।
इन रिपोर्टों के बाद सुरक्षा बलों ने नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ रोकने वाली सुरक्षा टुकड़ियों को मजबूत किया है। सेना प्रमुख एमएम नरवाने से लेकर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के प्रमुख राकेश अस्थाना और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के प्रमुख एपी माहेश्वरी, सभी पिछले 10 दिनों में जम्मू-कश्मीर का दौरा कर चुके हैं ताकि हालात की समीक्षा की जा सके और सरकार को इस बारे में जानकारी दी जा सके।
सूत्रों ने कहा कि नियंत्रण रेखा के पास से बरामद कई हथियारों में चीनी निशान हैं। खुफिया रिपोर्टों से यह भी संकेत मिलता है कि घाटी में स्थानीय भर्ती बढ़ रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "पिछले दो महीनों में स्थानीय भर्ती बहुत तेजी से बढ़ी है, लेकिन हथियार मिलना एक मुद्दा बनता जा रहा है। यही कारण है कि पाकिस्तान ने अब हथियार ड्रोन और क्वाड-कॉपर्स भेजने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।"
खुफिया सूचनाओं से यह भी संकेत मिलता है कि ISI ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की संपत्ति के संरक्षण के बहाने CPEC से जुड़ी एक चीनी फर्म से बड़ी संख्या में हेक्साकॉप्टर की खरीद की है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारतीय सुरक्षा बलों ने चीनी कंपनी नोरिनको द्वारा निर्मित EMEI टाइप 97 NSR राइफल की कई रिकवरी की है। इस हथियार का उपयोग चीनी सैनिकों द्वारा किया जाता है और हाल ही में CPEC सहयोग के हिस्से के रूप में पाकिस्तान फ्रंटियर फोर्स को भी दिया गया था।
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