नई दिल्ली: कृषि कानून के विरोध में किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक राष्ट्रव्यापी एडवाइजरी जारी की है। गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि भारत 'बंद' शांति से हो और कोई अप्रिय घटना न हो।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को किसान संघों द्वारा समर्थित और विपक्षी दलों द्वारा समर्थित भारत बंद के दौरान सुरक्षा कड़ी करने को कहा है, ताकि देश में कहीं भी कोई अप्रिय घटना न हो। एक देशव्यापी एडवाजरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वास्थ्य और सोशल डिस्टेंसिंग के संबंध में जारी किए गए कोविड-19 दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए।
किसानों यूनियन ने साफ किया है कि वह सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक भारत बंद रखेंगे। कई विपक्षी दलों ने अखिल भारतीय हड़ताल के आह्वान का समर्थन किया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी नेता शरद पवार, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन और पीएजीडी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला सहित प्रमुख नेताओं ने भी एक संयुक्त बयान जारी कर भारत बंद का समर्थन किया और केंद्र से प्रदर्शनकारियों की मांगें मानने का दबाव बनाया है।
'भारत बंद' में भाग नहीं लेंगे व्यापारी, परिवहन निकाय
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) और ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन (AITWA) ने कल 'भारत बंद' में भाग नहीं लेने की घोषणा की है। दोनों संघों ने केंद्र और किसानों को बातचीत में शामिल होने और जल्द से जल्द मुद्दों को सुलझाने के लिए कहा।
सीएआईटी और एआईटीडब्ल्यूए द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि ऐसे समय में जब सरकार और किसान नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, किसी भी बंद का आयोजन करना उचित नहीं है। हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि वार्ता के बीच बातचीत होगी। सरकार और किसान नेता किसी समाधान पर पहुंचेंगे।"
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