के.जे.श्रीवत्सन, जयपुर: राजस्थान में संक्रमण के चलते पक्षियों की हो रही मौतों का सिलसिला अभी थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। बुधवार को 80 और पक्षियों के मरने की खबर सामने आई है। जहां राजस्थानन में पक्षियों की बढ़ती असामान्य मौत के बाद मुर्गी पालकों को वीडियो कॉन्फ्रेंस कर सरकार ने सचेत रहने को कहा है, जयपुर में भी अब जल्द वेटीनरी लैब खुलने की उम्मीदे बढ़ गई हैं, लेकिन सरकार की सबसे बड़ी समस्या प्रवासी पक्षियों को लेकर ही है, क्योंकि ये पक्षी ही ना केवल संक्रमण को लेकर यहां आए हैं बल्कि उससे इन्ही की जान को ही सबसे ज्यादा ख़तरा भी है।
पक्षियों की लगातार हो रही मौत और पीपीई किट पहनकर मृत पक्षियों को उठाकर उनका अंतिम संस्कार करते कर्मचारीए इसी तरह का नजारा इन दिनों राजस्थान के 23 में से 9 जिलों में देखने को मिल रहा है और हर कोई इस बर्ड फ्लू के महामारी बनकर उबरने की आशंका को लेकर परेशान है।
सरकार को पक्षियों के साथ साथ लोगों की जान की भी परवाह है ऐसे में लगातार बैठकें चल रही है। यहां तक की बूंदी में 40 मुर्गियों की अचानक हुई मौत के बाद प्रदेश के सभी प्रभावित जिलों के मुर्गी पालकों से भी पशुपालन और वन विभाग के अधिकारीयों ने बैठक की।
चूंकि भोपाल लैब की रिपोट में अब तक तीन जिलों में एवियन इंफ्लुएंजा के चलते ही 29 पक्षियों की मौत की पुष्टि भी हुई है। ऐसे में सरकार ने मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों से लगती सीमा पर सतर्कता बढ़ा दी है। सबसे ज्यादा मुश्किल वाली स्थिति झालावाड़ जिले को लेकर है, जहां 320 से भी ज्यादा पक्षियों की मौत हुई है, इसे मिलकर राज्य में पिछले एक हफ्ते में 800 से भी ज्यादा पक्षियों की मौत हो चुकी है।
जिनमें से सरकार ने 122 के सेम्पल भोपाल स्थित लैब में जाँच के लिए भिजवाए हैं। जहां पक्षियों की मौत के ज्यादा मामले आ रहे हैं वहां धारा 144 लगाकर लोगों की आवाजाही पर प्रतिबन्ध लगाया जा रहा है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक विक्रम सिंह राजस्थान हमारे यहां 100 कौओं की मौत हुई है। कौओं के साथ मोर, तोता, कबूतर, कोयल और बगुले की भी मौत के मामले सामने आए हैं।
कुत्तों में इन्फेक्शन से इसका कोई लेना देना नहीं है, राष्ट्रीय पक्षी मोर की मौत का मामला भी संक्रमण के चलते ही सामने आया है और मृतक पक्षियों को सही तरीके से डिस्पोज भी किया जा रहा है। वैसे गनीमत यह है कि राजस्थान में अभी तक पॉल्ट्री में बर्ड फ्लू का कोई मामला सामने नहीं आया है। इसके चलते पॉल्ट्री उत्पादों की बिक्री पर रोक नहीं लगाई जा रही है।
इसके साथ ही दूसरे राज्यों से लगती सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है, ताकि वहां से बर्ड फ्लू का संक्रमण राजस्थान नहीं आए। जानकारी के मुताबिक अब तक कोटा, बारां और झालावाड़ में पॉजीटिव केस सामने आए हैं। हालांकि, जोधपुर की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। इससे थोड़ी राहत मिली है। चिंता यह भी है कि जोधपुर और पाली सहित प्रदेश के अब तक 17 जिलों में पक्षियों की असामान्य मृत्यु के मामले सामने आ चुके हैं। अब तक राजस्थान में करीब 800 पक्षियों की मौत हो चुकी है।
हर जिले से 10ण्10 सेम्पल मंगवाकर उन्हें भोपाल स्थित लैब भेजा गया है। जांच में लगने वाले ज्यादा समय को लेकर अब सरकार जयपुर में ही ऐसी लैब स्थापित करवाने की कवायद में जुट गई है, ताकि इस वक़्त यहां मौजूद दो प्रक्षिशित चिकित्सकों की सहायता से सेम्पल की जांच का काम तेज हो सके।
फिलहाल तो बर्ड फ्लू के बढ़ते मामलों को लेकर पूरे प्रदेश को अलर्ट कर दिया गया है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि अभी सेम्पल जांच में यह वायरस का एच 5 एन 8 स्ट्रेन है। जिससे इंसानों को ज्यादा खतरा नहीं है। बावजूद इसके सतर्कता में कोई कमी नहीं रखी जा रही है, सबसे ज्यादा जांच का फोकस प्रदेश में पॉल्ट्री इंडस्ट्री पर है, क्योंकि यह काफी बड़ी है और अगर बर्ड फ्लू के वायरस ने इसमें प्रवेश किया तो बड़ा नुकसान होगा।
इसके साथ ही सर्दी के मौसम में ठंडे देशों से पलायन कर आने वाले प्रवासी परिन्दों पर भी बर्ड फ्लू का साया मंडरा रहा है। सरकार खुद ही मानती है कि इन प्रवासी परिंदों के चलते ही राजस्थान में संक्रमण आया है लेकिन उन्स्से इन्हें भी बड़ी संख्या में खतरा भी है, क्योंकि इस समय अकेले मारवाड़ में ही करीब डेढ़ लाख से भी ज्यादा प्रवासी परिन्दों ने डेरा जमा रखा है, जबकि पूरे राजस्थान में इनकी संख्या लाखों में है। अलग्अलग प्रजातियों के ज्यादातर प्रवासी परिंदे साइबेरिया व मंगोलिया सहित उस क्षेत्र के कुछ देशों में इन दिनों पड़ने वाली जबरदस्त सर्दी से बचाव के लिए यहां आए हैं।
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