सुकमा: जिले के कोंटा तहसील में ताड़मेटला को कोई जानता तक नहीं था। जब साल 2010 में यहां सीआरपीएफ के जवानों के साथ नक्सलियों के मुठभेड़ में 76 जवानों की बेहद झकझोरने वाली खबर आई तो ताड़मेटला की चर्चा शुरू हुई। छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे बड़ा नक्सली हमला था ताड़मेटला का।बीजापुर एनकाउंटर का मास्टर माइंड हिड़मा की बटालियन (PLGA Battalion no 1) ने ही ताड़मेटला कांड को अंजाम दिया था।
बस्तर के IG पी. सुंदर राज ने बताया कि नक्सलियों की सबसे ताकतवर मानी जाने वाली PLGA Battalion no 1 शनिवार को हुई मुठभेड़ में शामिल थी। ये बटालियल कुख्यात नक्सली हिड़मा की है। नक्सलियों की इसी बटालियन ने 6 अप्रैल 2010 दिन मंगलवार को सुकमा जिले के कोंटा तहसील के ताड़मेटला में 76 जवानों का शहीद कर दिया था। पी. सुंदर राज ने बताया कि देखा जाय तो सुकमा में होने वाले बड़े हमले में नक्सलियों की यही बटालियन शामिल रहती है। ये घटना भी बीजापुर और सुकमा जिले के बार्डर पर स्थित थाना तर्रेम क्षेत्र में हुआ है।
पुलिस के पास इंटेलिजेंस और ग्रामीणों से मिली जानकारी के मुताबिक 3 ट्रैक्टर में नक्सलियों ने अपने घायल साथियों और मारे गए नक्सलियों के शव लादे और जब्बामरका और गोमगुड़ा गांवों की तरफ भाग निकले। पुलिस को एक महिला नक्सली का शव इंसास रायफल के साथ मिला है। महिला नक्सली की पहचान माड़वी वनोजा के तौर पर हुई है।
ऐसी थी ताड़मेटला की वो रुह कपां देने की घटना:
5 अप्रैल को सुकमा के चिंतलनार कैंप से सीआरपीएफ के 150 जवान सर्चिंग पर निकले थे। वे सर्चिंग करते-करते ताड़मेटला की ओर निकल गए। सभी जवान घने जंगल में सर्चिंग के दौरान कई किलोमीटर पैदल चले और थक गए। 6 अप्रैल को तड़के वे लौट रहे थे तभी उन्होंने देखा कि आगे की पुलिया टूट गई है। जवानों को लगा कि नक्सलियों ने लैंडमाइन बिछा रखी है। जब तक वे समझ पाते नक्सलियों ने पहाड़ों की ओट से फायरिंग शुरू कर दी। जवानों ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया। हालांकि 150 जवानों को करीब 1000 नक्सलियों ने चोरो ओर से घेर लिया था। इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे।
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