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News24
अमिताभ ओझा, पटना: 67वीं बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक मामले मे जांच मे लगी एस आई टी को महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगा है। इस मामले मे जांच टीम ने भोजपुर के बड़हरा के बीडीओ को गिरफ्तार किया है। परीक्षा के दिन बीडीओ (प्रखंड विकास अधिकारी) की ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रूप में वीर कुंवर सिंह कॉलेज परीक्षा केंद्र पर थी। इस मामले मे परीक्षा केंद्र के प्रिंसिपल और कई स्टाफ से पहले ही पूछताछ हो चुकी है।
बड़हरा प्रखंड के बीडीओ के रूप में पदस्थापित जयवर्धन गुप्ता आरा में परीक्षा केंद्र पर मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात थे। आरा के वीर कुंवर सिंह परीक्षा केंद्र पर पेपर लीक का मामला सामने आया था और गुप्ता इसी केंद्र पर परीक्षा मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात थे। गुप्ता के पुराने इतिहास को देखते हुए इस बार पर्चा लीक में उनकी संलिप्तता उजागर हुई है।
सूत्रों के अनुसार आर्थिक अपराध विंग की टीम अब जयवर्धन गुप्ता को जांच के लिए पटना ले गई है। बीपीएससी के पर्चा लीक मामले में ईओयू के हाथ कुछ सबूत लगे थे जिसके बाद जांच के क्रम में उन्हें गिरफ्तार किया गया है। माना जा रहा है कि गुप्ता जिस परीक्षा केंद्र पर मजिस्ट्रेट थे वहीं से पेपर लिक हुआ है। दरअसल बीपीएससी का प्रश्न पत्र गुप्ता की मौजूदगी में ही खोला गया था। ऐसे में इसकी संभावना बन रही है कि गुप्ता की मिलीभगत से पेपर लीक हुआ और बिहार के माथे पर एक और काला धब्बा लगा है।
इतना ही नहीं आरा का कुंवर सिंह कालेज ऐसा ही एक केंद्र था, जहां परीक्षा में धांधली के आरोप पहले भी लग चुका है। इस कालेज की व्यवस्था को पांच साल पहले बिहार बोर्ड खारिज कर चुका है। आठ साल से विश्वविद्यालय प्रशासन भी इसे असंबद्ध कर चुका है। फिर भी इसे किसके आदेश या किसकी रिपोर्ट के आधार पर परीक्षा केंद्र बनाया गया, बड़ा सवाल है।
सामान्य नियम है कि परीक्षा केंद्र बनाने से पहले वहां की सुरक्षा, गोपनीयता व विश्वसनीयता की जांच होती है। जिलास्तरीय विभागों से रिपोर्ट मांगी जाती है। सब कुछ संतोषजनक रहने पर ही वहां केंद्र बनाया जाता है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि इस विवादास्पद परीक्षा केंद्र को स्वीकृति किसने दी? साथ ही पूर्व में ही रिश्वत लेने के मामले में आरोपी रह चुके गुप्ता को इतनी अहम जिम्मेदारी देने के पहले उनके इतिहास को भी नहीं टटोला जाना बड़ा सवाल खड़ा करता है। कहा जा रहा है कि आरा के इस केंद्र पर उत्तर पुस्तिकाएं व प्रश्न-पत्र बांटने में भी आधे घंटे से ज्यादा का विलम्ब हुआ।
8 मई, 2022 को बीपीएससी की परीक्षा हुई थी. परीक्षा के लिए राज्य के 38 जिलों में कुल 1083 परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था की गई थी. इस परीक्षा में बिहार और अन्य कई राज्य से करीब 6 लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे. लेकिन पेपर लीक होने से लाखों छात्रों को निराश होना पड़ा है. इतिहास में यह पहला मौका है जब पेपर लीक हुआ था.
बिहार लोक सेवा आयोग ने पेपर लीक प्रकरण के सामने आने के बाद 67वीं संयुक्त प्रतियोगी प्रारंभिक परीक्षा को रद्द कर दिया है। पेपर लीक मामले में आयोग की ओर एक तीन सदस्यीय समिति बनाई गई थी। समिति को 24 घंटे में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था। हालांकि, समिति ने महज तीन घंटे में ही अपनी रिपोर्ट सौंप दी और परीक्षा निरस्त करने की सिफारिश कर दी थी। वहीं अब इस मामले की जाँच में एसटीएफ को भी शामिल कर लिया गया है।"
बिहार के उप-मुख्यमंत्री तरकिशोर प्रसाद ने बीपीएससी पीटी के पेपर लीक मामले को काफ़ी गंभीरता से लेते हुए अपने कटिहार आवास पर प्रेस कोनफ़्रेंस ती। उप-मुख्यमंत्री तरकिशोर प्रसाद ने कहा कि बिहार में ज़ीरो टोलरेंस की सरकार है।
बिहार सरकार छात्रों के साथ है, और इस तरह के परीक्षा में पेपर लीक मामले को लेकर सरकार काफ़ी गंभीर भी है, और इसकी जांच कर बहुत ही जल्द दोषियों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी। इस मामले में बिहार सरकार कुछ लोगों पर नज़र रख रही है।
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