नई दिल्लीः बिहार विधान सभा चुनाव का रिजल्ट आ गया है। राज्य में एकबार फिर एनडीए गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। राज्य में सरकार गठन की कवायद तेज हो गयी है। विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125, महागठबंधन को 110 और एआइएमआइएम, बसपा व दूसरे दलों को 8 सीटें मिली है। तेजस्वी यादव की आरजेडी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। बीजेपी 74 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी है।
यह पहला मौका है जब बिहार में बीजेपी की जेडीयू से ज्यादा सीटें आई है। ऐसे में सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि क्या वो नैतिकता का परिचय देते हुए खुद से सीएम की कुर्सी बीजेपी को ऑफर कर देंगे। यानि नीतीश कुमार बिहार में किंग नहीं किंगमेकर की भूमिका निभाएंगे।
ख़बरों के मुताबिक नीतीश कुमार बीजेपी को सीएम पद सौंप सकते हैं। साथ ही वो केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रीमंडल में शामिल हो सकते हैं। केंद्र सरकार में नीतीश कुमार रेल, कृषि जैसे अहम मंत्रालय संभल सकते हैं । अपने अगले रोल और कदम पर नीतीश कुमार गहन मंथन कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने 11 बजे अपने आवास पार्टी के बड़े नेताओं की बैठक बुलाई है।
आपको बता दें कि चुनाव परिणाम आने के बाद बीजेपी के नेता अब बिहार में अपनी पार्टी का मुख्यमंत्री बनाने की मांग करने लगे हैं। बीजेपी एससी मोर्चा के अध्यक्ष अजित चौधरी ने कहा है कि नतीजों से साफ है कि एक ही नेता के प्रति एंटी इनकंबेसी है। जनता की भावनाओं का ख्याल रखते हुए बीजेपी को अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहिए।
इस सवाल के उठने के पीछे नीतीश कुमार का इतिहास है। सीएम नीतीश कुमार कई मौकों पर नैतिकता का परिचय देते हुए कुर्सी छोड़ते रहे हैं। आइए नीतीश कुमार के नैतिकता के उन पुराने फैसलों पर एक नजर डालते हैं।
2014- साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की अगुवाई में जेडीयू की बिहार में करारी हार हुई थी। जेडीयू महज 2 सीटों पर सिमट गई थी। इसके बाद नीतीश कुमार ने नैतिकता की दुहाई देकर पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा दिया था।
2005- मार्च-अप्रैल 2005 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत नहीं मिला था। वहीं एलजेपी अपने 29 विधायकों का समर्थन देने से इनकार कर चुकी थी। इसी बीच खबर आई थी कि एलजेपी के 21 विधायक टूटकर नीतीश कुमार के पक्ष में आने को तैयार थे। लेकिन नीतीश कुमार ने नैतिकता की दुहाई देकर सरकार बनाने से मना कर दिया था।
1999- पश्चिम बंगाल के गैसल में भीषण ट्रेन हादसा हुआ, जिसमें करीब 300 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश कुमार ने रेलमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
इन सारे उदाहरण को देखते हुए चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं कि क्या नीतीश कुमार स्वेच्छा से मुख्यमंत्री की कुर्सी बीजेपी को ऑफर कर देंगे। क्योंकि नीतीश कुमार पहले ही रिटायरमेंट के संकेत दे चुके हैं। इसके अलावा चुनाव परिणाम आने से पहले ही बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे कह चुके हैं कि नीतीश कुमार को केंद्र में चले जाना चाहिए। चुनाव परिणाम आने के बाद बीजेपी नेता संजय मयूख ने भी कहा है कि विकल्प पर चर्चा के बाद ही फैसला लिया जाएगा।
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