अमिताभ ओझा, पटना: बिहार में नई सरकार की गठन के लिए बैठकों का दौर जारी है। सबकुछ ठीक रहा तो आज नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनाने पर अंतिम मुहर लग जायेगा और यह भी फैसला हो जायेगा कि नीतीश कुमार कब यानी किस दिन 7वीं बार मुख्यमंत्री पद की लेंगे।
लेकिन यह सब इतना भी आसान नहीं है। दरअसल विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर भाजपा-जदयू में पेंच फंस गया है। बीजेपी और जेदीयू दोनों अध्यक्ष पद को लेकर अड़े हैं। बीजेपी चाहती है कि इस बार स्पीकर पद उसको मिले, लेकिन जेदीयू का कहना है कि जब से एनडीए की सरकार बनी तब से उनका ही विधानसभा अध्यक्ष रहा है। ऐसे में इसबार भी उसी का स्पीकर होना चाहिए। वहीं बीजेपी का कहना है की जेदीयू का सीएम तो उनका विधानसभा अध्यक्ष होना चाहिए।
आपको बता दें कि 2005 से लेकर 2020 तक जदयू का ही स्पीकर रहा है। इसबार भी नीतीश कुमार चाहते हैं कि पहले की तरह विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी उनकी पार्टी के पास ही रहे। फिलहाल विजय कुमार चौधरी विधानसभा अध्यक्ष हैं और नीतीश कुमार उन्हें इस पद पर बनाए रखना चाहते हैं।
दरअसल विधानसभा में स्पीकर की भूमिका अहम होती है और जिस पार्टी का विधानसभा अध्यक्ष होता है उसे अप्रत्यक्ष तौर काफी फायदा मिलता है। चूंकि किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी अहम हो जाती है।
आपको बता दें कि 2020 विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब 74 सीटें जीतकर बीजेपी बड़ी पार्टी बन गई है और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड 43 सीट जीतकर छोटे भाई की भूमिका में आ चुकी है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी मुख्यमंत्री पद के साथ साथ जेडीयू अध्यक्ष पद भी देने के लिए तैयार हो जाएगी।
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