सौरभ कुमार, पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा सातवें आसमान पर चल रहा है। चुनाव का शुरूर सिर्फ प्रत्याशियों तक ही सीमित नहीं आम लोगों में खूब देखने को मिल रहा है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने-अपने दांव पेंच लगाने में लगे हैं। चुनाव में सीधा मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच देखा जा रहा है। इस बीच महागठबंधन के साथ-साथ एनडीए में भी सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
एनडीए के बड़े नेताओं की माथा-पच्ची के बाद भी अभी सीटों का ऐलान नहीं हो सका है। एनडीए में लोक जनशक्ति पार्टी सीट बंटवारे में ज्यादा मांग कर गले की फांस बनी हुई है। जदयू किसी भी कीमत पर ज्यादा सीटों पर लड़ना चाहती है, क्योंकि जदयू खुद को बड़ा भाई और बीजेपी को छोटा भाई दिखाना चाहती है। बीजेपी इसके लिए तैयार नही है। बीजेपी 2019 का फार्मूला चाहती है यानि बराबर बराबर सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है।
- चिराग पासवान एक बड़ा कारण
जदयू बीजेपी के बीच चिराग एक बड़ा कारण है क्योंकि अगर चिराग एनडीए से अलग हो जाते हैं तो वो जदयू के खिलाफ 143 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेंगे। इससे जदयू को काफी नुकसान होगा। जदयू चाहती है कि अगर चिराग एनडीए से अलग होते हैं तो उन्हें केंद्र से भी अलग किया जाए, जिसके लिए बीजेपी तैयार नहीं हैं।
- कुछ सीटों पर फंसा है पेंच
जदयू और बीजेपी के बीच ऐसी कई सीट है जिस पर पेंच फंसा है । ये वो सीटें हैं, जिसके विधायक जो राजद में थे और हाल में ही जदयू में शामिल हुए हैं। बीजेपी इन सीटों को छोड़ने को तैयार नहीं हैं क्योंकि ये बीजेपी की परंपरागत सीट हैं और जदयू के सामने परेशानी है की ये उन विधायकों को कहां सेट करेगी जो राजद छोड़कर जदयू में शामिल हुए है।
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