नई दिल्ली: विदेशी हथियारों की लिस्ट बनाकर आयात पर रोक लगाने के फैसले बाद के रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने जा रहे भारत ने इस पर काम शुरू कर दिया है। जानकारी के अनुसार, भारतीय सेना के लिए डिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) छह 'स्वाति' वेपन लोकेटिंग रडार बनाएगी। स्वाति दुश्मन के हथियारों की मौजूदगी तलाश कर उन्हें तबाह करने के लिए भारतीय सेना को गाइड करने का काम करती है। एलओसी पर जम्मू कश्मीर में अभी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत ने अपनी सेना की ताकत बढ़ाने के लिए इसके अधिक निर्माण पर चर्चा की है।
रक्षा मंत्रालय की मंगलवार को होने वाली मीटिंग में इस पर चर्चा की जा सकती है। छह स्वाति रडार बनाने पर लगभग 400 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। भारत के रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर अभियान ने पाकिस्तान और चीन की नींद उड़ा दी है, कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में भारत अपने यहां बने हथियारों से सैन्य ताकत बढ़ाने में सक्षम होगा।
क्यों खास है 'स्वाति' रडार
इस रडार के जरिए भारतीय सेना के जवान ये आसानी से पता लगा सकेंगे कि फायरिंग कहां से हो रही है। रॉकेट लॉन्चर कहां से दागे जा रहे हैं और उनकी दूरी क्या है। ये सब इन सब जानकारियों से लैस भारतीय सेना के जवान जवाबी कार्रवाई में उस पाकिस्तानी पोस्ट या गोलीबारी की जगह को निशाना बना कर तबाह कर सकेंगे। ये 50 किलोमीटर तक की रेंज में काम कर सकती है। साथ ही 99 फायरिंग रेंज का पता लगा सकती है।
स्वाति रडार सिस्टम दुश्मन की तरफ से हो रही फायरिंग की लोकेशन या ठिकाने का सटीक पता लगाता है। भारत में बना यह हथियार दुश्मन के मोर्टार राकेट लॉन्चर और आर्टिलरी गन को सिर्फ एक से दो मिनट में तबाह करने की ताकत रखता है। क्योंकि इस रडार के माध्यम से सेना दुश्मन पर नजर रखती है और उनसे पहले माकूल जवाब देती है। रडार सिस्टम को फायर सिस्टम से जोड़ देने पर सीमा पर होने वाली फायरिंग की जानकारी के साथ मुंहतोड़ जवाब भी दिया जा सकता है।
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