Atal Jayanti: पूर्व प्रधानमंत्री (Former Prime Minister) अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की आज 96वीं जयंती (Birth Anniversary) है। इस मौके पर देशभर उन्हें नमन कर श्रद्धांजलि दे रहा है। अपनी कविताओं और भाषणों के लिए हमेशा जाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी बीजेपी के संस्थापकों में से एक थे। अटलजी 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही चल पाई थी। 1998 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीने तक चली थी। 1999 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और 5 सालों का कार्यकाल पूरा किया। 2004 के बाद तबीयत खराब होने की वजह से उन्होंने राजनीति से अपनी दूरी बना ली थी।
अटलजी एक राजनीतिज्ञ, कवि और पत्रकार थे। अटल जी राजनेता और कवि दोनों के रूप में आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। उन्होंने कई बेहतरीन कविताएं लिखी। कविताओं को लेकर उन्होंने कहा था कि 'मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं'। उनकी कविताओं का संकलन 'मेरी इक्यावन कविताएं' खूब चर्चित रही। जिसमें..हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा.. खास चर्चा में रही। वहीं उनकी ऐसी कविता भी है जिसने पूरे पाकिस्तान को हिला कर रख दिया था। पाकिस्तान पर लिखी गई उनकी ये कविता काफी प्रसिद्ध है जिसे खूब सुना जाता है।
एक नहीं, दो नहीं, करो बीसों समझौते
पर स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा।
अगणित बलिदानों से अर्जित यह स्वतंत्रता
त्याग, तेज, तप, बल से रक्षित यह स्वतंत्रता
प्राणों से भी प्रियतर यह स्वतंत्रता।
इसे मिटाने की साजिश करने वालों से
कह दो चिनगारी का खेल बुरा होता है
औरों के घर आग लगाने का जो सपना
वह अपने ही घर में सदा खरा होता है।
अपने ही हाथों तुम अपनी कब्र न खोदो
अपने पैरों आप कुल्हाड़ी नहीं चलाओ
ओ नादान पड़ोसी अपनी आंखें खोलो
आजादी अनमोल न इसका मोल लगाओ।
पर तुम क्या जानो आजादी क्या होती है
तुम्हें मुफ्त में मिली न कीमत गई चुकाई
अंगरेजों के बल पर दो टुकड़े पाए हैं
मां को खंडित करते तुमको लाज न आई।
अमेरिकी शस्त्रों से अपनी आजादी को
दुनिया में कायम रख लोगे, यह मत समझो
दस-बीस अरब डॉलर लेकर आने वाली
बरबादी से तुम बच लोगे, यह मत समझो।
धमकी, जेहाद के नारों से, हथियारों से
कश्मीर कभी हथिया लोगे, यह मत समझो
हमलों से, अत्याचारों से, संहारों से
भारत का भाल झुका लोगे, यह मत समझो।
जब तक गंगा की धार, सिंधु में ज्वार
अग्नि में जलन, सूर्य में तपन शेष
स्वातंत्र्य समर की वेदी पर अर्पित होंगे
अगणित जीवन, यौवन अशेष।
अमेरिका क्या संसार भले ही हो विरुद्ध
काश्मीर पर भारत का ध्वज नहीं झुकेगा,
एक नहीं, दो नहीं, करो बीसों समझौते
पर स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा।
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