इंद्रजीत सिंह, मुंबई: मुंबई पुलिस ने एपीआई सचिन वाजे को सस्पेंड कर दिया है। इसके साथ ही सचिन वाजे दूसरी बार सस्पेंड हुए हैं। इससे साल 2004 में भी पहले सचिन वाजे सस्पेंड किये गए थे। वाजे पर उस समय आरोप था कि उन्होंने अपने तीन सहयोगी पुलिस कर्मियों के साथ मिलकर, घाटकोपर ब्लास्ट के आरोपी ख्वाजा यूनुस की पुलिस कस्टडी में हत्या कर दी। वाजे पर यूनुस की हत्या और सबूत मिटाने के आरोपों का मुकदमा चल रहा है।
मुकेश अंबानी के घर के पास मिले विस्फोटक के मामले में सचिन वाजे को एनआईए ने गिरफ्तार किया है इसके बाद आखिरकार मुंबई पुलिस ने वाजे को सस्पेंड कर दिया। इस केस को लेकर मुंबई पुलिस की काफ़ी किरकिरी हो रही थी इतना ही नहीं महाराष्ट्र के महाविकास आघाड़ी सरकार में इस मामले को लेकर मतभेद सामने आने लगे थे जब से सचिन वाजे का नाम आया था। कांग्रेस और एनसीपी दोनों पार्टियां वाजे पर कारवाई चाहती थी।
सचिन वाजे जून 2020 में पुलिस सेवा में बहाल हुए थे और इससे पहले उनके पास क्राईम इंटेलिजेंस यूनिट में एपीआई की ज़िम्मेदारी लेकिन रुतबा किसी डीसीपी से कम नहीं थी। मुंबई पुलिस की पिछ्ले कुछ महिनों के सभी महत्वपूर्ण केस के जांच की ज़िम्मेदारी सचिन वाजे को मिली थी, इसमें टीआरपी केस, दिलीप छाबरिया केस के अलावा कई महत्वपूर्ण केस शामिल हैं। लेकिन उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास विस्फोटक मामले में अभी तक जितने भी सबूत मिले हैं, सब सचिन वाजे के खिलाफ जा रहे हैं। जैसे स्कार्पियो गाड़ी का पहले सचिन वाजे द्वारा इस्तेमाल करना, गाड़ी के मालिक मनसुख हिरेन की पत्नी का सचिन पर आरोप, उस कार का अर्णव गोस्वामी पर कारवाई के समय दिखना और साथ चल रही इनोवा कार का क्राईम इंटेलिजेंस यूनिट द्वारा इस्तेमाल करना। इतना ही नहीं इनोवा कार से जो शख्स पीपीई किट पहनकर मुकेश अंबानी के घर के आसपास उतरा था उसका कद काठी और चाल ढाल से सचिन वाजे से मिल रहा है।
अब सवाल ये है की इसके पीछे मकसद क्या है? पहली बार सस्पेंड होने के करीब 3 साल बाद सचिन वाजे ने महाराष्ट्र पुलिस से 2007 में इस्तीफा दे दिया था, हालांकि उनके खिलाफ चल रही जांचों के लंबित होने की वजह से उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया गया था लेकिन 2008 में सचिन वाजे ने शिवसेना की दशहरा रैली के मौके पर शिवसेना का दामन थाम लिया, उनका निलंबन तकरीबन 16 साल तक चला था और पिछले साल जून में वह वापस पुलिस फोर्स में शामिल हुए थे। सचिन वाजे ने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा के अंडर काम किया है और तकरीबन 60 एनकाउंटर में हिस्सा लिया।
2002 में घाटकोपर ब्लॉस्ट के मामले में ख्वाजा यूनुस को पुलिस में गिरफ्तार किया था। ख्वाजा यूनुस महाराष्ट्र के परभणी जिले का निवासी था तब उसकी उम्र 27 साल थी। यूनुस पेशे से इंजीनियर था और दुबई में काम करता था। यूनुस की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने यह दावा किया था की पूछताछ के लिए उसे औरंगाबाद ले जाते समय वह फरार हो गया लेकिन कोर्ट के आदेश पर जब सीआईडी जांच हुई तो पता चला कि उसकी मौत पुलिस हिरासत में हुई थी। इस मामले में तब 14 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया था। हालांकि मुकदमा सिर्फ चार आरोपियों पर ही चलाया गया जिनमें सचिन वाजे और बाकी के तीन कॉन्स्टेबल थे।
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