नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि पार्टी को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या वह मोदी सरकार से हिसाब मांगने के लायक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर में 17 महीने के विकास के बारे में पूछने से पहले कांग्रेस को देश में अपने 70 साल के शासन का हिसाब देना चाहिए।
अमित शाह कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को जवाब दे रहे थे, जिन्होंने गृह मंत्री से अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद लोगों से किए गए वादों के बारे में पूछा है। अमित शाह ने कहा, "यहां कहा गया कि धारा 370 हटाने के वक़्त जो वादे किए गए थे उसकी दिशा में क्या किया गया? धारा 370 हटे हुए 17 महीने हुए और आप हमसे हिसाब मांग रहे हो, 70 साल आपने क्या इसका हिसाब लेकर आए हो? अगर 70 ढंग से चलाते तो हमसे हिसाब मांगने का समय ही नहीं आता।''
उन्होंने आगे कहा, "मुझे कोई आपत्ति नहीं है, मैं हर चीज का हिसाब दूंगा। जिनको पीढ़ियों तक शासन करने का मौका दिया वो अपने गिरेबान में झांक कर देखें कि हम हिसाब मांगने के लायक हैं या नहीं। आपकी चार पीढ़ी ने जो काम किया है, वो काम हमने डेढ़ साल के अंदर किया है।" लोकसभा में गृह मंत्री ने कहा, ''हमने जम्मू-कश्मीर में 100% लोगों को घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। 3,57,405 लोगों को 70 साल से बिजली नहीं मिली थी, उनको 17 महीने में बिजली देने का काम किया गया है।''
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2021 के बारे में बात करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यह बिल में कहीं नहीं लिखा है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा, "मैंने इस सदन में कहा है और मैं इसे फिर से कहता हूं कि इस बिल (जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन(संशोधन) विधेयक, 2021) का जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने से कोई लेना-देना नहीं है, उपयुक्त समय पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिया जाएगा। किसके दबाव में धारा 370 को इतने समय तक चालू रखा? आप 17 महीने में हिसाब मांगते हो, 70 साल तक जब अस्थायी धारा 370 चली उस वक़्त हिसाब क्यों नहीं मांगते थे? अस्थायी प्रावधान को नहीं उखाड़ा, क्योंकि वोट बैंक की राजनीति करनी थी।"
अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के साथ जम्मू और कश्मीर (जम्मू-कश्मीर) कैडर के नागरिक सेवाओं के अधिकारियों को विलय करने के लिए अध्यादेश को बदलने का विधेयक आज लोकसभा में पेश किया गया।
कश्मीर में जमीनी हालात के बारे में बात करते हुए अमित शाह ने दावा किया कि कांग्रेस के शासनकाल के दौरान घाटी में हजारों लोग मारे गए थे और कर्फ्यू लगाया गया था। उन्होंने कहा, "कश्मीर में शांति एक बड़ी बात है। मैं अशांति के दिनों को याद नहीं करना चाहता। इस तरह के दिन फिर से नहीं आएंगे, क्योंकि यह अब हमारी सरकार है।"
जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनावों पर ध्यान केंद्रित करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि चुनाव के दौरान कोई अशांति या हिंसा नहीं हुई और 50 प्रतिशत से अधिक वोट डालने के लिए लोग बाहर आए।
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