नई दिल्ली: केन्द्र सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में पिछले साल अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) को विस्थापित करने की योजना बनाई जा रही है। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में इसके संकेत दिए जाने के बाद विस्थापित कश्मीरी पंडितों के प्रमुख संगठनों ने केंद्र सरकार से कश्मीर घाटी में 10 जिलों के बजाय एक ही स्थान पर निर्वासित समुदाय की वापसी और उनकी मांग पर विचार करने की मांग की है।
रूट्स इन कश्मीर (आरआईके), जेकेवीएम और यूथ फॉर पनुन कश्मीर (वाई4पीके) जैसे प्रमुख कश्मीरी पंडित संगठनों ने सरकार से यह आग्रह किया है। सभी संगठनों की ओर से संयुक्त रूप से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा है कि पता चला है सरकार कश्मीर के विभिन्न जिलों में कश्मीरी पंडितों को विस्थापित करने की योजना बना रही है। ऐसे में सरकार से घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए 10-जिला निपटान योजनाओं पर विचार नहीं किया जाए। इसके साथ ही समुदाय के सम्मानजनक वापसी के लिए 'न्याय और एक स्थान निपटान' की मांग की गई है।
आरआईके के प्रवक्ता अमित रैना ने कहा कि संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर सभी की मांगों को लेकर एक ज्ञापन प्रस्तुत करेगा। रैना ने कहा कि सरकार को "विभिन्न जिलों में उनके पुनर्वास के लिए योजनाओं को तैयार करने के बजाय, उन्हें पहले पलायन के कारणों को स्थापित करने के लिए एक समिति का गठन करना चाहिए और फिर समिति के निष्कर्षों के आधार पर योजना तैयार करनी चाहिए।"
जेकेवीएम के अध्यक्ष दिलीप मट्टो का कहना है कि अब तक 1,800 से अधिक कश्मीरी पंडितों को आतंकवादियों ने मार दिया है, लेकिन एक भी दोषी नहीं ठहराया गया है। उन्होंने कहा कि न्याय और एक ही जगह पर उन्हें बसाए जाने के बिना कश्मीरी पंडितों की वापसी संभव नहीं है।
इसके साथ ही वाईपीके के राष्ट्रीय समन्वयक विट्ठल चौधरी ने कहा कि 1990 में कश्मीरी पंडितों का उत्पीड़न जनसंहार से कम नहीं था। सभी संगठनों ने सर्वसम्मति से नरसंहार के कारणों की पहचान करने और त्वरित न्याय के लिए विशेष जांच दल या न्यायाधिकरण की स्थापना की मांग की है।
इसके अलावा उन्होंने मांग की कि सरकार मंदिरों और कश्मीर में हिंदुओं की धार्मिक और सांस्कृतिक संपत्तियों की रक्षा के लिए प्रस्तावित मंदिर और तीर्थ विधेयक के अनुसार एक 'मंदिर और तीर्थ संरक्षण अध्यादेश' जारी करे। कश्मीर के मूल निवासी करीब तीन लाख कश्मीरी पंडितों को 1990 में पाकिस्तान द्वारा समर्थित इस्लामी आतंकवादियों द्वारा अपनी मातृभूमि से बाहर निकाल दिए गया था।
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