नई दिल्ली: मैसूर विश्ववविद्यालय के शताब्दी दीक्षांत समारोह को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बीते 5-6 सालों से उच्च शिक्षा में हो रहे प्रयास सिर्फ नए इंस्टीट्यूशन खोलने तक ही सीमित नहीं है। इन संस्थाओं में गवर्नेंस में सुधार से लेकर जेंडर और सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भी काम किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'ऐसे संस्थानों को ज्यादा ऑटोनामी भी दी जा रही है।' उन्होंने पिछले छह वर्षों में देश में खुलीं नई संस्थाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि बीते पांच से छह साल में सात नए आईआईएम स्थापित किए गए हैं। जबकि उससे पहले देश में 13 आईआईएम ही थे। इसी तरह करीब छह दशक तक देश में सिर्फ सात एम्स देश में सेवाएं दे रहे थे। साल 2014 के बाद इससे दोगुने यानि 15 एम्स देश में या तो स्थापित हो चुके हैं या फिर शुरू होने की प्रक्रिया में हैं।
उन्होंने कहा, 'आजादी के इतने वर्षों के बाद भी साल 2014 से पहले तक देश में 16 आईआईटी थी। बीते 6 साल में औसतन हर साल एक नई आईआईटी खोली गई है। इसमें से एक कर्नाटक के धारवाड़ में भी खुली है। 2014 तक भारत में 9 ट्रिपल आइटी थीं। इसके बाद के 5 सालों में 16 ट्रिपल आईटी बनाई गई हैं।'
इस दौरान उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय को प्राचीन भारत की समृद्ध शिक्षा व्यवस्था का प्रमुख केंद्र बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'मैसूर यूनिवर्सिटी, प्राचीन भारत की समृद्ध शिक्षा व्यवस्था और भविष्य के भारत की आकांक्षाओं और क्षमताओं का प्रमुख केंद्र है। इस यूनिवर्सिटी ने 'राजर्षि' नालवाडी, कृष्णराज वडेयार और एम. विश्वेश्वरैया के विजन और संकल्पों को साकार किया है।'
प्रधानमंत्री मोदी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, 'अब आप एक फॉर्मल यूनिवर्सिटी कैंपस से निकलकर, रियल लाइफ यूनिवर्सिटी के विराट कैंपस में जा रहे हैं। ये एक ऐसा कैंपस होगा जहां डिग्री के साथ ही, आपकी योग्यता और काम आएगी, जो ज्ञान आपने हासिल किया है उसका प्रयोजन काम आएगा।'
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