नई दिल्ली: यह खबर जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की वकालत करने वालों को शर्मसार करने के लिए काफी है। धारा 370 के हटाने से वहां के लोगों को होने वाले नुकसान का राग अलापने वाले नेताओं ने इस बात पर जरा भी शर्म नहीं आती कि आजादी के 70 साल बाद भी प्रदेश में लोगों को बिना बिजली के रहना पड़ रहा था।
हालांकि केंद्र सरकार ने सौभाग्य योजना के तहत जम्मू और कश्मीर के राजौरी जिले के नौशेरा उप-मंडल में पहाड़ी-सीमावर्ती क्षेत्रों के कई गांवों में बिजली पहुंचाई।
रिपोर्टों के अनुसार, आजादी के 70 साल बाद भी गांवों में बिजली नहीं थी। राजौरी में प्रशंसनीय विकास कार्य पर बोलते हुए एक स्थानीय निवासी अब्दुल हामिद ने कहा, “हम सरकार के आभारी हैं इससे पहले, हमारे बच्चे पढ़ाई नहीं कर सकते थे। हमें फोन चार्ज करने के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता था।”
बिजली से जुड़े सहायक अभियंता वरुण सदोत्रा ने बताया, 'आजादी के 70 साल बाद भी बहुत सारे सीमावर्ती इलाकों में बिजली नहीं पहुंची थी। पीएम मोदी की सौभाग्य योजना के तहत दूर-दराज के सीमावर्ती गांवों में बिजली पहुंचाई गई, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला।”
रिपोर्टों के अनुसार, नौशेरा में लगभग 44 पंचायतों को बिजली परियोजना से जोड़ा गया है। इन दूर-दराज के गांवों में रहने वाले 1500 सौ से अधिक परिवारों के पास अब बिजली की सुविधा है। सौभाग्य योजना गरीब घरों में मुफ्त बिजली कनेक्शन प्रदान करती है।
एलओसी के पास का गांव 73 साल के बाद हुआ रोशन
इससे पहले, यह बताया गया था कि उत्तरी कश्मीर के तीन गांव, जो कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास स्थित हैं, उनको 73 साल बाद बिजली मिली। जिले के केरन, मुंडियन और पटरू के ग्रामीण भारी बर्फ के कारण 6 महीने तक बिना बिजली के हैं। इसके अलावा, प्राकृतिक भौगोलिक बाधाओं के कारण, पाकिस्तानी से भारी गोलाबारी के कारण तीनों गांवों के 14000 निवासियों का जीवन खतरे में है।
दो साल लंबी बिजली परियोजना पूरी हुई, जिसने कुपवाड़ा जिले के स्थानीय निवासियों के संकट को कम किया। बिजली परियोजना के तहत, कश्मीर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (KPDCL) द्वारा 979 यूटिलिटी पोस्ट, एक रिसीविंग स्टेशन और एक 33 किलोवोल्ट लाइन स्थापित की गई है।
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