नई दिल्लीः केंद्र सरकार द्वारा बनाए तीनों कृषि कानूनों को लेकर करीब 2 महीने से किसानों का आंदोलन जारी है। शुक्रवार को 11वें दौर की बैठक में भी सरकार और किसान संगठनों के बीच समाधान नहीं हो सका है। अब अगली बैठक कब होगी अभी इसकी कोई तारीख तय नहीं है।
सरकार की और से कहा गया कि हम कानून को डेढ़ दो साल के लिए रोक सकते हैं। इससे बेहतर हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। नरेंद्र तोमर ने कहा कि अगर किसान बातचीत करने को तैयार हैं तो ये कल भी हो सकती है लेकिन विज्ञान भवन कल खाली नहीं है। कृषि मंत्री ने बातचीत के लिए किसानों का धन्यवाद किया।
किसान संगठनों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कानून को रद्द करने पर अड़े हैं। करीब साढ़े 4 घंटे तक विज्ञान भवन में सरकार और किसानों के बीच बैठक चली। अब अलगी बैठक के लिए विज्ञान भवन खाली नहीं रहेगा।
वहीं, किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि लंच ब्रेक से पहले किसान नेताओं ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग रखी। सरकार ने कहा कि वो संशोधन के लिए तैयार है. मंत्रियों ने किसान नेताओं से प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कहा। वहीं, हमने सरकार से हमारे प्रस्ताव पर विचार करने को कहा. इसके बाद मंत्री बैठक छोड़कर चले गए।
किसान मजदूर संघर्ष समिति के एसएस पंधेर ने कहा, आंदोलन शांतिपूर्वक जारी रहेगा। मंत्री ने हमें साढ़े तीन घंटे इंतजार करवाया। यह किसानों का अपमान है। जब वह आए तो उन्होंने हमसे सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कहा और कहा कि वह बैठकों की प्रक्रिया को समाप्त कर रहे हैं।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, बैठक के दौरान सरकार ने दो साल के लिए कृषि कानूनों को लागू करने की पेशकश की और कहा कि बैठक का अगला दौर केवल तभी हो सकता है जब किसान यूनियन प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए तैयार हों।
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