नई दिल्ली। कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लड़ रही है। वैसे तो कोरोना वायरस एक नॅार्मल वायरल है, जो थोड़े दिनों के आराम के साथ सही हो जाता है, लेकिन अब यह वायरस कई और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण भी बन रहा है।
पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति के लिए यह और भी ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि बीमार इंसान के अंदर पहले से ही रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और कोरोना कम इम्यूनिटी के लोगों को अपना शिकार जल्दी बनाता है।
हाल ही में ''जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन'' ने जर्मनी में कोरोना के 100 से ज्यादा मरीजों पर एक अध्ययन किया। अध्ययन में शामिल लोगों की उम्र 40 से 50 के बीच में थी।
इस अध्ययन में पता चला कि 78% रोगियों में हृदय नॅार्मल स्थिति में है और 60% रोगियों में मायोकार्डियल सूजन यानी हृदय की मांसपेशियों में सूजन देखने को मिली। 100 में से 23 मरीजों के हृदय की हालात गंभीर होने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।
कोरोना का दिल पर प्रभाव देखने के लिए शोधकर्ताओं ने रक्त परिक्षण, हृदय की बायोप्सी, सहित कई प्रकार के उपकरणों का उपयोग किया।
अध्ययन के परिणाम देखकर यह साफ पता चलता है, कि कोरोना के अभी बहुत सारे ऐसे लक्षण बाकी है जिनसे हम अब भी अंजान है। कोरोना के दीर्घकालिक परिणामों के बारे में हम अभी नहीं जानते हैं। खासतौर से शरीर के महत्वपूर्ण अंग जैसे दिल, फेफड़े और किडनी पर इसका क्या परिणाम पड़ता है।
वैज्ञानिक लगातार यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं, कि कोरोना के जो हृदय पर प्रभाव पड़ रहे हैं, वो लंबे समय तक रहेंगे, या फिर अस्थायी रूप से शरीर में मौजूद हैं।
कोरोना हृदय के काम को काफी प्रभावित करता है जैसे तेजी से दिल धड़कने के कारण मांसपेशियों का कमजोर पड़ जाना, रक्त के थक्के बन जाना, और धमनियों में सूजन आ जाना जिसकी वजह से शरीर के अंगों को रक्त सही से नहीं पुंहच पाता है।
कोरोना के नए लक्षणों मे अब सीने में दर्द, थकान, अधिक पसिना आना, और सांस लेने में तकलीफ होना भी शामिल हो गए है।
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