प्रशांत देव, नई दिल्ली: वैश्विक महामारी कोरोना संकट के दौर में भारतीय वैज्ञानिकों ने कमाल किया है। भारतीय वैज्ञानिकों ने मामूली कागज के टुकड़े से कोरोना जांच करने का कारनामा किया है। भारतीय वैज्ञानिकों के इस अनोखे कारनामे का विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी अब लोहा मान रहा है। WHO ने इस कामयाबी के लिए भारतीय वैज्ञानिकों की सराहना की है।
भारतीय वैज्ञानिकों मामूली कागज पर आधारित परीक्षण ऐसी प्रणाली विकसित किया है जो गर्भावस्था के परीक्षण के समान तेजी से रिजल्द देने वाला है। यह जीन-संपादन तकनीक पर आधारित है। वैज्ञानिकों ने इस फेलूदा किट (Feluda Kit) का नाम दिया है। दावा किया जा रहा है कि इस टेस्ट के तहत मरीजों की कोरोना रिपोर्ट महज एक घंटे के भीतर आ जाएगी और इसकी कीमत भी 500 रुपये से कम होगी।
जानकारी के मुताबिक इस फेलूदा किट को टाटा समूह द्वारा बनाया जाएगा और जल्द ही यह दुनियाभर की बाजारों में उपलब्ध होगा। दिल्ली स्थित सीएसआईआर- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी मिलकर इस किट को विकसित किया गया है।
बताया जा रहा है कि इसका 2 हजार से ज्यादा मरीजों पर टेस्ट किया गया है, जिनमें कोरोना पॉजिटिव मरीज भी शामिल थे। टेस्ट के दौरान 96 फीसदी संवेदनशीलता और 98 फीसदी सटीकता देखने को मिली। आपको बता दें कि टेस्ट की सटीकता इन दो अनुपातों पर ही आधारित होती है।
इस टेस्ट का फेलूदा किट रखा गाय है। दरअसल फेलूदा सत्यजीत रे की फिल्मों का एक किरदार रहा है। फिल्म की कहानी के मुताबिक फेलुदा किरदार बंगाल में रहने वाला प्राइवेट जासूस है, जो छानबीन कर हर समस्या का हल निकाल लेता है। टाटा समूह ने अपने कोविड-19 टेस्ट का नाम वहीं से लिया है। फेलुदा टेस्ट सार्स-कोव 2 वायरस के जेनॉमिक सीक्वेंस का पता लगाने के लिए स्वदेशी सीआरआईएसपीआर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है।
ये प्रोटीन का इस्तेमाल करने वाला दुनिया का पहला ऐसा परीक्षण है, जो सफलतापूर्वक कोरोना वायरस की पहचान कर लेता है। टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स लिमिटेड के सीईओ गिरीश कृष्णमूर्ति कहते हैं कि टाटा समूह की किट को मंजूरी मिलने से वैश्विक तौर पर कोरोना से लड़ने में मदद मिलेगी।
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