नई दिल्ली: कहते है 'जाको राखे साइयां, मार सके न कोय' वाली कहावत एक बार फिर सच साबित हुई है। देश में ऐसा पहली ऐसा हुआ है किसी कोरोना संक्रमित मरीज के दोनों फेफड़े ट्रांसप्लांट किए गए। इसे मेडिकल जगत में चमत्कार माना जा रहा है। फेफड़ों के एक गंभीर रोग से जूझ रहे एक पीड़ित को हैदराबाद के एक अस्पताल में उस वक्त नई जिदगी मिल गई जब डॉक्टरों ने उसके दोनों फेफड़े ट्रांसप्लांट कर दिए। पीड़ित व्यक्ति अब पूरी तरह से स्वस्थ्य है और उसे अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है।
पूरा मामला हैदराबाद के कृष्णा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (केआईएमएस) हॉस्पिटल का है। बताया जा रहा है कि चंडीगढ़ के रहने वाले 32 साल के रिजवान उर्फ मोनू सारकॉइडोसिस से पीड़ित था, जिससे उसके फेफड़े खराब हो गए थे। इतना ही नहीं वह कोरोना से भी पीड़ित था। लेकिन डॉक्टर संदीप अत्तावर की अगुवाई में कृष्णा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (केआईएमएस) के डॉक्टरों ने उसका सफल ऑपरेशन कर उसे नई जिदगी दी।
बताया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण की वजह से सारकॉइडोसिस पीड़ित रिजवान की तबियत लगातार बिगड़ती जा रही थी। डॉक्टरों के पास उसके दोनों फेफड़े बदलना ही एकमात्र विकल्प बचा था। लेकिन एक साथ दो फेफड़े का मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं था। लेकिन किस्मत ने रिजवान का साथ दिया।
रिजवान को नया जीवन देने वाले डॉ. अटवार के मुताबिक रिजवान के लिए फेफड़े कोलकाता से मिले, जब वहां मस्तिष्कीय रूप से मृत (ब्रेन डेड) एक व्यक्ति के फेफड़े रिज़वान से मैच हुए। इसके बाद, कोलकाता से एयरलिफ्ट के जरिये फेफड़े हैदराबाद मंगाए गए।
फेफड़ों की सर्जरी करने वाले डॉ. अटवार का कहना है कि यह एक बेहद उलझी हुई सर्जरी थी क्योंकि मरीज के एक नहीं बल्कि दोनों ही फेफड़ों को ट्रांसप्लांट किया जाना था। यहां गलती की गुंजाइश नहीं थी। बावजूद इसके हमारी टीम तकरीबन असंभव काम को संभव कर दिखाया। देश में यह पहली बार है जब किसी मरीज़ के दोनों फेफड़ों का ट्रांसप्लांट किया गया है।
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