---- विज्ञापन ----
News24
नई दिल्ली: वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ का शनिवार शाम निधन हो गया है। 67 वर्षीय दुआ लंबे समय से पोस्ट कोविड इफेक्ट्स से जूझ रहे थे। छह दिन पहले तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दुआ के निधन से देशभर में उनके लाखों समर्थकों सहित पूरे टेलीविजन पत्रकारिता जगत को बड़ा झटका लगा है।
ऐसा था जीवन-सफ़र
बीते चार दशकों के दौरान विनोद दुआ वो आवाज़ बनकर उभरे जिसे सुनकर एक पीढ़ी बड़ी हुई। उन्होंने 80, 90 और 2000 के दशक की अपनी विरासत को अपने आखिरी वर्षों में न्यू एज मीडिया कहे जाने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म्स तक आगे बढ़ाया।
दुआ दूरदर्शन और एनडीटीवी के साथ हिंदी पत्रकारिता में अग्रणी थे। उन्हें भारत में चुनावी कवरेज में क्रांति लाने के लिए जाना जाता था। उनके करियर की शुरुआत में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाला साप्ताहिक करंट अफेयर्स शो 'पारख' एक मील का पत्थर साबित हुआ। बीते कुछ वर्षों के दौरान उन्होंने डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म 'द वायर' और 'एचडब्ल्यू न्यूज' के लिए वेब शो में अपनी राजनीतिक टिप्पणियों के लिए पहचाना गया।
दुआ को पत्रकारिता में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 1996 में, वे रामनाथ गोयनका उत्कृष्टता पुरस्कार जीतने वाले पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार बने। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2008 में पत्रकारिता के लिए पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था। जून 2017 में, पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी जीवन भर की उपलब्धियों के लिए, मुंबई प्रेस क्लब ने उन्हें रेडइंक पुरस्कार से सम्मानित किया, जो उन्हें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा प्रदान किया गया था।
उन्होंने 'जनवानी' जैसे कार्यक्रमों की भी मेजबानी की, जहां राष्ट्रीय प्रसारक दूरदर्शन, जो आमतौर पर सरकार के लिए एक नरम रुख रखने के लिए पहचाना जाता था, ने सीधे सवाल पूछने की कला देखी और जाना कि सत्ता से सच कैसे बोला जाता है।
विनोद दुआ एनडीटीवी से भी लंबे समय तक जुड़े रहे। वह 'खबरदार इंडिया' और 'विनोद दुआ लाइव' के होस्ट थे। वह चुनावी प्रसारण पर भी नियमित थे। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जब टीवी पर इस्तेमाल की जाने वाली भाषा पर हिंदी पत्रकारिता अपने सबसे बुरे दौर से जूझ रही थी, तो उन्हें एक ऐसी आवाज के रूप में देखा गया, जो विवेकपूर्ण महसूस होती थी।
दुआ हमेशा खुद को एक पत्रकार नहीं बल्कि एक प्रसारक मानते थे। एक चतुर राजनीतिक पत्रकार होने के अलावा उनका मन कला, संस्कृति, संगीत के साथ भोजन में भी खूब लगता था।
हालांकि 2018 में, #MeToo अभियान के दौरान, दुआ पर फिल्म निर्माता निष्ठा जैन ने 1989 में हुई एक घटना के संबंध में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। दुआ ने इस आरोप का सख्ती से खंडन किया। वे उस समय द वायर के साथ कॉन्ट्रिब्यूटिंग एडिटर के तौर पर जुड़े हुए थे। लेकिन इल्ज़ाम लगने के बाद उन्होंने स्वेच्छा से अपने नियमित काम को निलंबित कर दिया और एक स्वतंत्र पैनल द्वारा आरोप की जांच को स्वीकार किया। सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति इस मामले की जांच कर रही थी।
2020 में, दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने दुआ के खिलाफ दिल्ली भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता ने YouTube चैनल HW न्यूज़ पर अपने शो के माध्यम से "फर्जी समाचार" का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज़ कराई थी। इस मामले में दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी थी।
जून में ही हिमाचल के भाजपा नेता अजय श्याम ने दुआ पर प्रधानमंत्री के खिलाफ गलत जानकारी फैलाने और देशद्रोह का आरोप लगाया था। अजय श्याम का आरोप था कि दुआ ने 2020 में सरकार द्वारा अचानक लगाए गए लॉकडाउन की घोषणा के बाद दिल्ली से प्रवासी कामगारों की घर वापसी पर 30 मार्च को 15 मिनट को YouTube पर एक शो किया था, जिसमें उन्होंने में "अजीब आरोप" लगाए थे । लेकिन इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में अंततः इन आरोपों को खारिज कर करते हुए कहा कि प्रत्येक पत्रकार सुरक्षा का हकदार है।
देश और दुनिया की ताज़ा खबरें सबसे पहले न्यूज़ 24 पर फॉलो करें न्यूज़ 24 को और डाउनलोड करे - न्यूज़ 24 की एंड्राइड एप्लिकेशन. फॉलो करें न्यूज़ 24 को फेसबुक, टेलीग्राम, गूगल न्यूज़.