नई दिल्ली: सिडनी टेस्ट में भले ही भारत को कितनी ही चुनौतियों का सामना करना पड़ा हो, अंतत: भारत और आस्ट्रेलिया के बीच मैच ड्रॉ हो गया। सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (एससीजी) में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच के आखिरी दिन सोमवार को जब आस्ट्रेलियाई टीम मैदान पर उतरी थी तो भारत के खिलाफ उसकी जीत उसके करीब दिख रही थी, लेकिन मेहमान टीम के बल्लेबाज ऋषभ पंत (97), चेतेश्वर पुजारा (77), टिकाऊ हनुमा विहारी और रविचंद्रन अश्विन ने अद्भुत बल्लेबाजी करते हुए आस्ट्रेलिया की जीत के अरमानों पर पानी फेरते हुए मैच ड्रॉ करा दिया।
भारत को आस्ट्रेलिया ने 407 रनों का विशाल लक्ष्य दिया था जिसके जवाब में चौथे दिन भारत ने अपने दो विकेट 98 रनों पर गंवा दिए थे। पांचवें दिन आस्ट्रेलिया को भारत के सिर्फ आठ विकेट लेने थे। विकेट पर थे भारत के कार्यवाहक कप्तान अजिंक्य रहाणे और पुजारा।
पांचवें दिन भारतीय टीम के स्कोर में चार रनों का इजाफा ही हुआ था कि नाथन लॉयन ने रहाणे (4) को मैथ्यू वेड के हाथों कैच करा दिया। भारत के लिए यह बड़ा विकेट था जिसके खोने से आस्ट्रेलिया की जीत की उम्मीदें और मजबूत हो गई थी।
पहली पारी में बल्लेबाजी करते हुए चोटिल हुए पंत ने कप्तान के बाद मैदान पर कदम रखा और यहां से आस्ट्रेलियाई जीत के सपने की इमारत ढहनी शुरू हो गई। एक छोर पर पंत ने तेजी से रन बनाने शुरू किए और दूसरे छोर पर पुजारा पैर जमाकर खड़े रहे। दिन के पहले सत्र में यह जोड़ी नहीं टूटी और दोनों अपने-अपने अंदाज में बल्लेबाजी करते रहे। पहले सत्र की समाप्ति तक पुजारा 41 और पंत 73 रन बनाकर नाबाद थे और भारत का स्कोर तीन विकेट तक 206 रन था।
पुजारा ने दूसरे सत्र में टेस्ट में अपने छह हजार रन पूरे किए। पुजारा ने अपना अर्धशतक भी पूरा कर लिया। दूसरे छोर पर खड़े पंत शतक की ओर बढ़ रहे थे। उनकी पारी पर लॉयन ने ब्रेक लगा दिया। पंत ने लॉयन की गेंद पर बड़ा शॉट मारना चाहा लेकिन गेंद उनके बल्ले का ऊपरी किनारा ले कर पैट कमिंस के हाथों में गई। पंत तीन रनों से शतक से चूक गए।
उन्होंने अपनी मैच बचाऊ पारी में 118 गेंदों का सामना कर 12 चौके और तीन छक्के लगाए। पंत का विकेट 250 के कुल स्कोर पर गिरा। पुजारा और पंत ने 148 रनों बड़ी साझेदारी कर आस्ट्रेलिया के लिए मुश्किलात पैदा कर दिए थे। कुछ देर बाद पुजारा भी 272 के कुल स्कोर पर जोश हेजलवुड की गेंद पर बोल्ड हो गए। उन्होंने 205 गेंदें खेली और 12 चौके मारे।
पुजारा और पंत के जाने के बाद आस्ट्रेलिया ने मैच में वापसी कर ली थी। दूसरे सत्र का खेल खत्म होने तक भारत ने पांच विकेट खोकर 280 रन बना लिए थे। एक समय जीत की ओर जाती दिख रही भारत के लिए अब मैच ड्रॉ कराना प्राथमिकता था।
विहारी ने फिर वो किया जो शायद सबसे अहम साबित हुआ। विहारी ने अंगद की तरह विकेट पर पैर जमाए और आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को विकेट के लिए तरसा दिया। वह रन नहीं बना रहे थे, यह यूं कहें रन बनाना नहीं चाहते थे। उनका लक्ष्य सिर्फ गेंद खाली खेलते हुए समय निकाला मैच को ड्रॉ कराना था। दूसरे छोर से अश्विन ने उनका बखूबी साथ दिया। विहारी जो कर रहे थे वही अश्विन भी कर रहे थे, लेकिन अश्विन का स्ट्राइक रेट विहारी से ज्यादा था।
अंतत: यह दोनों खिलाड़ी अपने मंसूबों में कामयाब रहे और मैच ड्रॉ कराकर नाबाद लौटे। विहारी ने 161 गेंदों का सामना कर सिर्फ 23 रन बनाए। उन्होंने 14.29 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए। अश्विन ने 128 गेंदों का सामना करते हुए 39 रनों की पारी खेली। अश्विन का स्ट्राइक रेट 30.47 का रहा। विहारी ने चार चौके लगाए और अश्विन ने सात चौके मारे। इन दोनों बल्लेबाजों ने छठे विकेट के लिए 62 रनों की साझेदारी की।
दिन का खेल खत्म होने में एक ओवर बचा था लेकिन दोनों टीमों ने सहमति से उसे न खेलना का फैसला किया। भारत ने चौथी पारी में कुल 131 ओवरों का खेल खेला। 1980 के बाद से भारत ने चौथी पारी में पहली बार इतने ओवर खेले हैं। आस्ट्रेलिया के लिए हेजलवुड, लॉयन ने दो-दो विकेट लिए। पैट कमिंस को एक विकेट मिला।
आस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 338 रन बनाए थे। उसने भारत को पहली पारी में 244 रनों पर ढेर कर दिया था। वह दूसरी पारी में 94 रनों की बढ़त के साथ उतरी थी। मेजबान टीम ने अपनी दूसरी पारी छह विकेट के नुकसान पर 312 रनों पर घोषित कर भारत को 407 रनों का मजबूत लक्ष्य दिया था। आस्ट्रेलिया के लिए पहली पारी में 131 और दूसरी पारी में 81 रन बनाने वाले स्टीव स्मिथ को मैन ऑफ द मैच चुना गया। इस मैच के बाद चार मैचों की सीरीज 1-1 की बराबरी पर है। चौथा टेस्ट मैच ब्रिस्बेन में खेला जाएगा।
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