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News24
नई दिल्ली: दुनियाभर के साथ भारत भी कोविड-19 महामारी के अलग-अलग वेरिएंट्स से जूझ रहा है। ऐसे में तमाम संक्रामक और गैर संक्रामक बीमारियों से जूझ रहे भारतीयों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य और इससे जुड़ी चुनौतियों से निपटने से संबंधित चर्चा के लिए, न्यूज़ 24 ने मंगलवार को 'आरोग्य हेल्थ कॉनक्लेव' (Aarogya Health Conclave) का आयोजन किया, जिसमें कई विशेषज्ञों और खास मेहमानों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम के दौरान वैकल्पिक दवाइयों (अल्टरनेटिव मेडिसिन्स) से जुड़े विशेष सत्र में योग गुरू बाबा रामदेव (Baba Ramdev) ने भी खास मेहमान के तौर पर शिरकत की। न्यूज़ 24 की तरफ़ से बाबा रामदेव के साथ शीतल राजपूत ने चर्चा की।
यहां पेश हैं इस चर्चा के संपादित अंश-
शीतल राजपूत- भारत को रोगमुक्त कैसे बनाएं? क्या हैं चुनौतियां, क्या होनी चाहिए हमारी रणनीतियां? हमारे साथ बाबा रामदेव मौजूद हैं, जो हमें वैकल्पिक दवाईयों के महत्व के बारे में समझाएंगे-
बाबा रामदेव- योग वैकल्पिक नहीं बल्कि, विश्व की सबसे प्राचीनतम पद्धति है। पचास साल एलोपैथी के ऊपर लोगों ने बहुत निवेश किया है, कई मायनों में वह कारगर भी है। लेकिन लोगों को कई कई वर्ष हो जाते हैं दवाइयां लेते-लेते, लेकिन वह स्वस्थ नहीं रह पाता है।
- मोदी जी आत्मनिर्भर की बात करते हैं, प्रकृति ने जीवन जीने के जो तरीके दिए हैं, यदि हम उन्हें अपनाएंगे तो स्वास्थ्य के मामले में हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं। विज्ञान को जो सर्वशक्तिमान होने का शिगुफा जो छेड़ा है, उससे बाहर आना चाहिए।
- जब दो जून की रोटी के लिए सोलह घंटे काम करते हैं तो बेशकीमती जीवन के लिए हर रोज सुबह एक घंटे योग करना चाहिए।
- दो बड़ी बीमारियां हैं, ब्लड प्रेशर और शुगर। जो लोग शुगर को लाइलाज बताते हैं, मुझे उससे आपत्ति है। पूरी मेडिसिन इंडस्ट्री के द्वारा, ये झूठ फैलाया जा रहा है। मात्रा चार-पांच आसन आधे घंटे कर के और योग की प्रक्रियाओं के साथ कुछ खीरा-टमाटर-गुलमार आदि का रस और कुछ आयुर्वेदिक दवाइयों की मदद से लाखों लोगों को नॉनडाइबिटिक की है। हमने टाइप-1 डायबिटीज को दूर किया है।
- सभी बीमारियां तब होती हैं जब रोग प्रतिरोध क्षमता कम होती है। लेकिन योग के जरिए इसे बढ़ाया जा सकता है। यही कारण है कि हमें संक्रामक बीमारियां नहीं होती है।
- जिन्हें लाइलाइज बीमारियां हैं, जिसमें हर बीमारी की एक फैमिली है, ये तब होती हैं जब हमारा शरीर अपनी स्वभाविक प्रक्रिया को छोड़ते हैं, तो ये बीमारियां हमें घेरती हैं।
- योग करने से, आयुर्वेद के अनुसार जीवन जीने और प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीने से हम किसी भी तरह की लाइलाज बीमारी को फैलने से रोक सकते हैं।
- आलसी और प्रमादी लोगों के लिए एलोपैथी मुबारक, किंतु जो लोग अनुशासित हैं और मेहनत कर सकते हैं, वे आयुर्वेद अपनाकर खुद को निरोगी रख सकते हैं। व्यक्ति को आत्मसंयम रखने की ज़रूरत है।
- न्यूज़ 24 ने जो स्वस्थ भारत का जो ज्ञान छेड़ा है, उसके लिए साधुवाद।
- एलोपैथी थोड़ी अवधि के लिए फायदे देती है, जबकि योग ना सिर्फ इस पूरे जन्म बल्कि अगली बार के लिए फायदेमंद साबित होता है।
शीतल राजपूत- क्या भागती-दौड़ती जिंदगी के बीच योग को दिन में कभी भी किया जा सकता है?
बाबा रामदेव- योग कभी भी किया जा सकता है। कोई समय की पाबंदी नहीं है। यही नाइंसाफी की लोगों ने। योग के ठेकेदार, जिनपर आयुर्वेद को आगे बढ़ाने का, वो खुद राह भटक गए, उन्होंने योग को रहस्यमय बना दिया। सिर्फ वे ही आसन जो पेट से संबंधित हैं, उन्हें ज़रूर सुबह किया जाना चाहिए। लेकिन नब्बे फीसदी योग को दिन में कभी भी किया जा सकता है। एक अनुशासन के साथ करने के अलग फायदे हैं, लेकिन योग को कभी भी किया जा सकता है।
चाहे गर्भवती महिला हो या बुजुर्ग।
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