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नई दिल्ली: दुनियाभर के साथ भारत भी कोविड-19 महामारी के अलग-अलग वेरिएंट्स से जूझ रहा है। ऐसे में तमाम संक्रामक और गैर संक्रामक बीमारियों से जूझ रहे भारतीयों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य और इससे जुड़ी चुनौतियों से निपटने से संबंधित चर्चा के लिए, न्यूज़ 24 ने सोमवार को 'आरोग्य हेल्थ कॉनक्लेव' (Aarogya Health Conclave) का आयोजन किया, जिसमें कई विशेषज्ञों और खास मेहमानों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम के दौरान 'राज्य और उनकी चुनौतियां' (States and their challenges) से जुड़े विशेष सत्र में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने भी खास मेहमान के तौर पर शिरकत की। न्यूज़ 24 की तरफ़ से स्वास्थ्य मंत्री पांडे के साथ विपनेश माथुर ने खास चर्चा की।
यहां पेश हैं, इस बातचीत के संपादित अंश-
- कोरोना ने पूरी दुनिया के सामने एक चुनौती पेश की। जिसमें कई विकसित देशों ने, जहां हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत बेहतर है, लेकिन जिस तरह से कोरोना के समय दृश्य सामने आए, साथ ही हमने अपने देश की भी पीड़ा को देखा है। लेकिन कोरोना ने इस बात को उजागर किया कि हमें अपने बेसिक इनफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने की आवश्यकता है।
- महामारी से लड़ने के लिए जो तैयारी चाहिए थी, वो नहीं दिखी, लेकिन अब हालात अलग।
सवाल- क्यों सरकारी अस्पतालों का रुख नहीं किया जाता। मंत्री-मुख्यमंत्री और सक्षम लोग इलाज के लिए दिल्ली का रुख क्यों करते हैं?
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे- हमारे सभी अस्पताल ऑक्सीजन बनाने के लिए आत्मनिर्भर हुए। प्रधानमंत्री के सपने को गांव तक पहुंचाने के लिए कई योजनाएं बनी। राज्यों को राशि उपलब्ध कराई गई। बिहार को ही 6700 करोड़ रुपये मिले हैं।
- उस कमी को महसूस किया है, जिसका ज़िक्र आपने किया है। लेकिन अब सुविधाओं को उन्नत और बेहतर करना है। ये परिणाम अब दिखाई पड़ रहा है।
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- पीएमसीएच दुनिया का दूसरा बड़ा और देश का सबसे बड़ा अस्पताल अगले 5 से 6 वर्षों में यह अस्पताल तैयार होगा। बेड्स के हिसाब से ये देश का सबसे बड़ा अस्पताल होगा। निश्चित रूप से पीएमसीएच का बहुत पुराना गौरव रहा है, तो हमारा प्रयास है कि पीएमसीएच की पुरानी प्रतिष्ठा प्राप्त हो।
- पटना का पीएमसीएच में तेजी से काम चल रहा है। आज भी वहां बेहतर इलाज होता है। लेकिन बेड्स की संख्या को बढ़ाने पर काम चल रहा है। बिहार में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व है। इतनी जनसंख्या का दवाब देश के अन्य राज्यों के अस्पतालों पर नहीं है, जिनता बिहार में है। सरकार इस बात को महसूस कर रही है। हमारे पास पीएमसीएच में छत्तीस सौ बेड्स बढ़ाने हैं।
- इसी तरह डीएमसीएच में बेड्स बढ़ा रहे हैं, जो कुछ महीनों में तैयार हो जाएंगे।
- हमने सौ बेड्स का नया पीकू अस्पताल बनाया। गया के अंदर अस्पताल बनाया। सभी जगह पर बेड्स को बढ़ाने का काम चल रहा है। साथ ही पीएससी पर छह बेड पहले होते हैं, उसे तीस बेड करने का निर्णय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा लिया गया।
- कुल मिलाकर अगले चार वर्षों में राज्य में लगभग सभी अस्पतलाों में कुल 22 से 23 हजार बेड्स बढ़ जाएंगे।
- हमने 11 से मेडिकल कॉलेजों को बढ़ाकर 20 कर दिया गया है।
- एक मेडिकल कॉलेज के बढ़ने से सिर्फ़ पढ़ाई नहीं बढ़ती है, 500 बेड भी बढ़ते हैं। अगले चार वर्षों में 13 और मेडिकल कॉलेज बनाए जा रहे हैं। 2005 में हमारे राज्य में सिर्फ 8 मेडिकल कॉलेज थे। 53 वर्षों में आठ मेडिकल कॉलेज बने, लेकिन सत्रह साल में हमने 13 और कॉलेज बना दिए।
- हम मैन पॉवर भी बढ़ाने पर भी काम कर रहे हैं। ये समग्र प्रयास है। चिकित्सक स्वास्थ्य सेवाओं का आधार होता है। उनकी संख्या बढ़ाने पर काम चल रहा है।
- जो सरकारी चिकित्सक, प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहे हैं, या सरकारी नियमों का अनुपालन नहीं कर रहे हैं तो सरकार ने उन पर नीतिगत कार्रवाई के प्रावधान तय किए हुए हैं। हमारे सिस्टम से अस्पतालों में कॉल्स जाते हैं, हमारे अधिकारी भी जाते हैं, ऐसे अनुशासनहीनता करने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई होती है, जिसमें बर्खास्तगी भी शामिल है।
- आपके चैनल के माध्यम से मैं अपने चिकित्सकों से आग्रह करता हूं कि आप ऐसी सेवाएं दीजिए कि मीडिया के कठिन सवालों का सामना ना करना पड़े।
- राज्यों में सरकारी सिस्टम से जो एंबुलेंस चलती हैं, उनकी संख्या 1150 है। यदि उनमें से किसी गाड़ी पर गड़बड़ हुई है, तो तुरंत उन लोगों पर कठिन कार्रवाई होती है। यदि कोई भी सरकार में बैठा हुआ कोई भी स्तर का व्यक्ति, जिसकी भी जिम्मेदारी तय है लेकिन वह उसे नहीं निभा रहा है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होती है। सरकार की व्यवस्थाओं को लोगों तक पहुंचने के बीच में जो रोड़ा बनता है, उसे हम नहीं छोड़ते हैं।
- कई बीमारियां मौसम जनित होती हैं, वैसी बीमारियों से लड़ना पड़ता है। चाहे मानसिक बुखार हो, डेंगू हो, चिकनगुनिया हो। जहां तक एईएस की बात है, हमने इसकी पूरी तैयारी की है। जैसे ही 2019 में मुजफ्फरपुर में हुई थी, तो उसके तुरंत बाद हमने वहां पीकू अस्पताल बनाने की जरूरत समझी। रिकॉर्ड आठ महीने में हमने पीकू अस्पताल मुज़फ्फरपुर में बनवाया।
- लगभग 700 एपीएससी और बीएससी आते हैं। सभी जगहों पर हमने एईएस बीमारी के लिए आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता कराई है।
- बच्चों का टीकाकरण किया जा रहा है, भारत की सरकार के सहयोग से। इस तरह से हम बच्चों को बीमारियों से बचा रहे हैं। बिहार के लिए गंभीर विषय है कैंसर। हमारे कैंसर के मरीज, बिहार से बाहर जाते रहे हैं। लेकिन कैंसर की बीमारी का इलाज बिहार में कैसे करें, इससे भी ज्यादा ज़रूरी है कि जल्द से जल्द बीमारी की पहचान कैसे करें? यदि हम जल्दी बीमारी की पहचान कर सकें तो मरीज की जिंदगी को बढ़ाया जा सकता है।
- आज की तारीख मे हम आईजीएमएस में 138 करोड़ रुपये खर्च कर के, स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट शुरू किया है। महावीर कैंसर संस्थान है, जिसे राज्य सरकार पूरा सहयोग करती है। भाभा अटॉमिक सेंटर के साथ मिलकर मुजफ्फरपुर में भी हमने मरीजों की पहचान और इलाज का काम शुरू किया है।
- वर्ल्ड कैंसर डे पर हमने राज्य के 14 जिलों में कैंसर पहचान सेंटर्स की शुरुआत की गई है।
- राज्य में जो कैंसर होता है, वह तीन तरह का है- माउथ कैंसर, गर्भाशय के मुंख का कैंसर और स्तन कैंसर। इनका डिटेक्शन जल्द से जल्द हो, हम इस दिशा में प्रयासरत हैं।
- हम गांव-गांव जाकर इस संबंध में कैंप लगा रहे हैं।
- एचआईवी को भी जिलेवार काबू में लाने की कोशिश की जा रही है। साथ ही एड्स से बचाव के लिए हम युवाओं के बीच जागरुकता भी फैलाने के कार्यक्रम चला रहे हैं।
अनुराधा प्रसाद- आपने बताया कि 2005 से भाजपा के पास स्वास्थ्य मंत्रालय रहा है। बिहार की छवि बीमारू राज्य के तौर पर पहचानी जाती है। ये छवि कब बदलेगी?
मंगल पांडे- आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि पटना एम्स जो 850 बेड्स का है, वह हमेशा फुल रहता है। यदि मरीजों को वहां के एम्स पर भरोसा नहीं होता तो भर्ती क्यों होते? चूंकि हमारा जनसंख्या घनत्व ज्यादा है, जबकि आर्थिक समृद्धि के मामले में हम पीछे हैं। लेकिन न्यूज़ 24 का सहयोग लेकर हम चाहते हैं कि पीएमसीएच के आपातकालीन भवन की तस्वीर को मंगवाकर चला दें तो बिहार के बारे में सोच बदल जाएगी।
- हम काम कर के पूरे पेज का विज्ञापन नहीं देते। हम लोगों के बीच में रहते हैं। कोरोना के समय हमने मृतकों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये की सहायता राशि दी, लेकिन उसका प्रचार नहीं किया। इसके लिए मीडिया से हम विनती करते हैं, क्योंकि हम सरकार का पैसा प्रचार-प्रसार में खर्च नहीं करते हैं, इसलिए सहयोग की अपेक्षा है।
- पिछले ढाई वर्षों के अनुभव के आधार पर कहना चाहता हूं कि कोरोना से लड़ने की व्यवस्थाएं जो प्रखंड से लेकर पट्टा मुख्यालय तक बनाई गई हैं, उसके हिसाब से हम किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हमने बड़े स्तर पर स्वास्थ्य क्षेत्र में नियुक्तियां की हैं। हम व्यवस्थाओं का विस्तार भी लगातार कर रहे हैं। इसलिए हम लोगों को आश्वस्त करते हैं कि कोरोना की किसी भी लहर के लिए हम पूरी तरह तैयार हैं।
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