इंद्रजीत सिंह, मुंबई केंद्र सरकार के खिलाफ बोलना देशद्रोह नहीं है, ऐसा मत सर्वोच्च न्यायालय ने रखा और उसी दौरान मोदी सरकार के खिलाफ बोलनेवाले कलाकार और सिनेमा जगत के निर्माता-निर्देशकों पर ‘इन्कम टैक्स’ के छापे पड़ने लगे हैं। इनमें तापसी पन्नू, अनुराग कश्यप, विकास बहल और वितरक मधु मंटेना का नाम प्रमुख है। तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप खुलकर अपने विचार व्यक्त करते रहते हैं।
सिनेमा जगत की कई महान उत्सव मूर्तियों ने किसान आंदोलन को लेकर किसानों को समर्थन तो नहीं दिया, उल्टे दुनिया भर से जो लोग किसानों को समर्थन दे रहे थे उनके बारे में इन उत्सव मूर्तियों ने कहा कि ये हमारे देश में दखलंदाजी है। लेकिन तापसी और अनुराग कश्यप जैसे गिने-चुने लोग किसान आंदोलन के पक्ष में खड़े रहे उनको इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। 2011 में किए गए एक लेन-देन के संदर्भ में ये छापे पड़े हैं।
छापे मारने के लिए या कार्रवाई करने के लिए सिर्फ इन्हीं लोगों को क्यों चुना गया? तुम्हारे उस ‘बॉलीवुड’ में रोज जो करोड़ों रुपए उड़ रहे हैं, वो क्या गंगाजल के प्रवाह से आ गए? बॉलीवुड’ में लॉकडाउन काल में कई मुश्किलें हैं। फिल्मांकन और नए निर्माण बंद हैं। थिएटर बंद हैं।
एक बड़ा उद्योग-व्यवसाय जब आर्थिक संकट में पड़ा हो, ऐसे में राजनीतिक बदला लेने के लिए ऐसे हमले करना ठीक नहीं है। सिनेमा जगत में मोदी सरकार की खुलकर चमचागीरी करनेवाले कई लोग हैं। उनमें कई लोग तो मोदी सरकार के सीधे लाभार्थी हैं। सब लोग सत्ताधारियों की पालकी ढोनेवाले होंगे ये जरूरी नहीं है।
कुछ लोगों की रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है ‘पिंक’, ‘थप्पड़’ और ‘बदला’ जैसी फिल्मों में तापसी का जोरदार अभिनय जिन्होंने देखा होगा वे ऐसा नहीं पूछेंगे कि तापसी इतनी मुखर क्यों हैं? अनुराग कश्यप के बारे में भी यही कहना पड़ेगा। उनके विचारों से सहमति भले न हो लेकिन उन्हें उनका विचार व्यक्त करने का पूरा अधिकार है।
दीपिका पादुकोण ने जेएनयू में जाकर वहां के विद्यार्थियों से मुलाकात की तब दीपिका की फिल्म को नियोजित तरीके से फ्लॉप कराने का प्रयास हुआ ही। लेकिन सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ गंदी मुहिम चलाई गई। ये सब करनेवाले लोग कौन हैं या किस विचारधारा के हैं, ये छोड़ो। लेकिन यह तय है कि ऐसे काम करके वे लोग देश की प्रतिष्ठा बढ़ा नहीं रहे हैं।
पर्यावरणवादी कार्यकर्ता दिशा रवि को जिस घृणास्पद तरीके से गिरफ्तार किया गया और उसको लेकर जिस प्रकार दुनियाभर में मोदी सरकार पर टीका-टिप्पणी हुई, इससे देश की ही बेइज्जती होती है। गोमांस मामले में कई लोगों की बलि गई। लेकिन भाजपा शासित राज्यों में गोमांस बिक्री जोरों पर है।
इस पर कोई क्यों नहीं बोलता? फिलहाल, देश में हर प्रकार की स्वतंत्रता का हवन हो रहा है। इसमें केंद्रीय जांच एजेंसी की निष्पक्षता पूर्ण कार्य की स्वतंत्रता भी जलकर खाक हो गई है। तापसी और अनुराग के मामले में यही हुआ है!
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