मुंबई। बॉलीवुड के सबसे मशहूर राइटर और शायर गुलजार मंगलवार को अपना 85वां जन्मदिन मना रहे हैं। इनका जन्म पाकिस्तान के दीना में हुआ था। उनकी लेखनी के लिए उनको 5 बार राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया। सिर्फ राष्ट्रीय पुरस्कार ही नहीं बल्कि गुलजार को ऑस्कर, ग्रैमी, पद्म भूषण और 20 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। गुलजार ने फिल्मों के लिए गाने ही नहीं बल्कि सात किताबें चौरस रात (1962), जानम (1963), एक बूंद चांद (1972) , रवि पार (1997), रात, चांद और मैं (2002), रात पश्मीने की और खराशें (2003) जैसी मशहूर किताबें भी लिखीं।
बता दें कि गुलजार अपने कॉलेज के दिनों से ही सफेद कपड़े पहनते आ रहे हैं। उन्होंने बिमल रॉय के साथ असिस्टेंट का काम भी किया। गुलजार ने एस.डी. बर्मन की 'बंदिनी' से बतौर गीतकार शुरुआत की थी। उनका पहला गाना था, 'मोरा गोरा अंग' और गुलजार की डायरेक्ट की हुई पहली फिल्म 'मेरे अपने' (1971) थी, जो बंगाली फिल्म 'अपनाजन' की रीमेक थी। गुलजार की अधिकतर फिल्मों में फ्लैशबैक देखने को मिलता। उनका मानना है कि अतीत को दिखाए बिना फिल्म पूरी नहीं हो सकती।
गुलजार को उर्दू में लिखना बहुत पसंद हैं। गुलजार ने 1973 की फिल्म 'कोशिश' के लिए साइन लैंग्वेज सीखी थी। जिसमें संजीव कुमार और जया भादुड़ी थे। 1971 में उन्होंने 'गुड्डी' फिल्म के लिए ‘हमको मन की शक्ति’ देना गाना लिखा था जो कि इतना प्रचलित हुआ कि ये गाना स्कूलों के प्रार्थना में सुनाई देने लगा।
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