मुंबई: आज भजन सम्राट अनूप जलोटा का जन्मदिन है। आज उनके जन्मदिन के मौके पर चलिए जानते है अनूप जलोटा से जुड़ी खास बातें ।एक इंटरव्यू में अनूप जलोटा बताते हैं- “ मैं लखनऊ में पहली बार ऑल इंडिया रेडियो का ऑडिशन देने जा रहा था तो मेरी मां ने कहा कि चलो मैं भी तुम्हारे साथ ऑडिशन देकर आती हूं।मैंने कहा कि मां आप रियाज तो करती नहीं है आप ऑडिशन कैसे देंगी।उन्होंने कहा कि नहीं तुम मेरा भी फॉर्म भर दो मैं भी ऑडिशन दूंगी।
मैंने उनका भी फॉर्म भर दिया।दिलचस्प बात ये है कि जब ऑडिशन के नतीजे आए तो मेरी मां पास हो गई थीं और मैं फेल हो गया था”।एक बार बचपन के बारे में पूछे जाने पर अनूप जलोटा ने कहा था, “अपने बचपन में बड़े भाई अनिल के साथ का एक किस्सा मुझे हमेशा याद आता है। वो भी गाना गाते थे। हम लोग बचपन में रेडियो- रेडियो खेला करते थे।एक दिन भैया ने कहा कि वो गाना गाएंगे और मैं ‘एनाउंसमेंट’ करूं।मैंने कहाकि मैं क्यों ‘एनाउंसमेंट’ करूंगा, आप ‘एनाउंसमेंट’ करिए मैं गाना गाऊंगा।ऐसा करते-करते बात बढ़ गई।मैं जिद पर उतर आया कि नहीं मैं गाना गाऊंगा और आप ‘एनाउंसमेंट’ करिए।
उन्होंने गुस्से में मुझे एक थप्पड़ रसीद कर दिया। वो उम्र में मुझसे बड़े थे इसलिए आखिरकार ‘एनाउंसमेंट’ मुझे करना पड़ा। एक थप्पड़ मैं खा ही चुका था तो अंदर से गुस्सा भी आ रहा था।मैंने ‘एनाउंसमेंट’ शुरू की- ये आकाशवाणी का विविध भारती प्रोग्राम है।रात के 11 बज चुके हैं और कार्यक्रम समाप्त होता है।इतना ‘एनाउंसमेंट’ करने के साथ ही दोबारा पिटने के डर से मैं वहां से भाग गया।गौरतलब है अनूप जलोटा के पहले गुरु उनके पिता जी ही थे। उन दिनों जितने बड़े कलाकार लखनऊ आते थे सो सभी उनके पिता से मिलने जाते थे।
अनूप जलोटा को इसका फायदा मिला, “ बचपन में लखनऊ में ही मैंने पहली बार पंडित जसराज जी को सुना था।फिल्मी गायकों में मैंने मुकेश जी और हेमंत कुमार साहब को वहीं सुना।बेगम अख्तर तो लखनऊ में रहती भी थीं तो उन्हें भी सुनने का सौभाग्य मिलासंगीत की दुनिया में पिता जी के बड़े कद का एक और फायदा था. हमारे यहां कई बड़े कलाकार आया जाया करते थे। बिरजू महाराज जी, गुदई महाराज जी, किशन महाराज जी, पंडित रवि शंकर, उस्ताद अली अकबर खान जी ये सभी लोग पिता जी के मिलने जुलने वालों में थे।
पिता जी की वजह से इन सभी कलाकारों का आशीर्वाद हमें मिलता रहा।लेकिन अनूप जलोटा के करियर में असली कहानी 70 के दशक में शुरू हुई।जो किस्सा अभिनेता मनोज कुमार के साथ जुड़ा हुआ है।अनूप याद करते हैं- “अभिनेता मनोज कुमार ने मेरा गाना सुना था।उन्हें मेरी आवाज बहुत पसंद आई. उन्होंने सीधा ही ऑफर कर दिया कि तुम मेरी फिल्म में गाओ।
उन्होंने फिल्म ‘शिरडी के साईं बाबा’ में मेरा गाना रख दिया। ये फिल्म 70 के दशक के आखिरी सालों में आई थी।फिल्म के गाने भी हिट हुए और फिल्म तो खैर हिट हुई ही।इससे ये हुआ कि संगीत की दुनिया में लोगों ने मेरा नाम जानना शुरू किया।लोगों को मेरी आवाज मेरा, अंदाज पसंद आने लगा और फिल्मों में मेरी गायकी का सिलसिला शुरू हो गयायहीं से भजन गायकी का दौर भी शुरू हुआ”।
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