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News24
Tokyo 2020: आज हम बात करेंगे टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली भारतीय गोल्फर अदिति अशोक के बारे में, जो गोल्फ की दुनियां में हिंदुस्तान की नई पहचान बन गई है। साल 2016 में हुए रियो ओलंपिक में, भारत की स्टार महिला गोल्फर अदिति अशोक सबसे कम उम्र की खिलाड़ी थीं। आज, टोक्यो ओलंपिक में, गोल्फ खिलाड़ी के तौर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहीं, यह 22 वर्षीया खिलाड़ी चौथे स्थान पर रहकर भारत के लिए पदक लाने से चूक गयी, लेकिन देशवासियों का दिल जीत लिया।
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अदिति ने, इस पुरुष-प्रधान खेल में महिलाओं की भागीदारी को मजबूत करने और लाइम लाइट में लाने के लिए एक लंबा सफर तय किया है। इससे पहले भारत में गोल्फ खेलने वाले खिलाड़ियों की बात करें तो अब तक जीव मिल्खा सिंह, ज्योति रंधावा, अर्जुन अटवाल और एसएसपी चौरसिया जैसे नाम सुनने को मिलते थे, लेकिन अब अदिति अशोक गोल्फ में भारत सबसे बड़ी उभरती हुई खिलाड़ी है। अदिति अशोक ने टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन किया। वह आखिरी तक मेडल जीतने की रेस में बनी हुई थी, लेकिन एक खराब शॉट ने उनका सपना तोड़ दिया।
अदिति कहती हैं, “रियो ओलंपिक के समय बहुत से लोग यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि गोल्फ क्या है? ताकि वे समझ सकें कि मैं कैसा खेल रही हूँ और क्या मैं पदक जीत सकती हूँ? अगले छह से बारह महीनों तक, सभी ने मुझे ओलंपिक के कारण ही याद रखा और पहचाना। हालांकि उसके बाद, मैंने तीन यूरोपीय टूर इवेंट जीते थे, लेकिन लोगों ने मुझे हमेशा उसी लड़की के रूप में याद किया, जिसने ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन किया था।"
5 साल की उम्र पकड़ी गोल्फ की छड़ी -
बेंगलुरू की रहनेवाली, इस खिलाड़ी की रुचि बचपन से ही गोल्फ में थी और उनके माता-पिता दोनों ने उन्हें पूरी तरह से सपोर्ट किया। अदिति ने पांच साल की उम्र में कर्नाटक गोल्फ एसोसिएशन के पास एक रेस्टोरेंट में नाश्ते के दौरान, पहली बार इस खेल के बारे में जाना। गोल्फ एसोसिएशन में चल रहे मैच के दौरान, उन्होंने चियर-अप की आवाज़ें सुनी। उन्होंने अपने पिता से पूछा था कि यह क्या हो रहा है? तब उनके पिता ने उन्हें गोल्फ के बारे में बताया था। बस तभी से अदिति के मन में गोल्फ प्लेयर बनने की ज़िद घर कर गई।
इसके बाद, आगे चलकर उन्होंने गोल्फ एकेडमी में दाखिला लिया और इस खेल को और भी करीब से जानने लगीं। पांच साल की उम्र में एक लड़की के लिए गोल्फ खेलना इतना आसान नहीं था। लेकिन उनके माता-पिता मजबूती से उनके साथ खड़े रहे। अदिति को कभी उनकी माँ, तो कभी पिता एकेडमी में खेलने के लिए लेकर जाते थे।
अदिति अशोक ने बैंगलोर के फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा हासिल की है। इसके बाद उन्होंने साल 2016 में स्नातक की डिग्री हासिल की है।
गोल्फ की दुनियां में बन गई सनसनी -
साल 2013 एशियाई युवा खेल, 2014 युवा ओलंपिक और 2014 एशियाई खेलों में, जब वह एक महिला गोल्फर के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार खेलने गईं, तो अपने-आप में एक ट्रेंडसेटर बन गईं।
महिलाएं भी खेलों में हिस्सा ले सकती हैं, उनके लिए भी खेल एक अच्छा विकल्प हो सकता है, इसका समर्थन करते हुए, उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि किसी भी खेल में महिलाओं को अगर खेलना है, तो दो चीजों से उबरना होगा। सबसे पहले, इसे एक कारगर करियर ऑप्शन के रूप में देखना होगा। दूसरी बात, हमें यह समझने की जरूरत है कि एक महिला की जगह सिर्फ घर में नहीं होती है।”
अदिति अशोक की उपलब्धियां-
रियो ओलंपिक के बाद अदिति अशोक ने टोक्यो ओलंपिक के लिए भी क्वालिफाई किया। टोक्यो ओलंपिक की क्वालिफाई लिस्ट में अदिति अशोक को 45वां स्थान मिला था। अदिति अशोक ने टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन किया। वह आखिरी तक मेडल जीतने की रेस में बनी हुई थी, लेकिन एक खराब शॉट ने उनका सपना तोड़ दिया। अगर उनका आखिरी शॉट अच्छा लगता तो वह ओलंपिक मेडल जीतकर इतिहास रच देती।
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