मनीष कुमार, नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने एक और बैंक से पैसे निकालने पर रोक लगा दी है। आरबीआई (RBI) ने महाराष्ट्र के नासिक स्थित इंडिपेन्डेन्स को-ऑपरेटिव बैंक लि. (Independence Co-Operative Bank) से पैसा निकालने पर रोक लगा दी है। हालांकि RBI ने बयान जारी कर कहा कि बैंक के 99.88 फीसदी जमाकर्ता पूर्ण रूप से ‘डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन’ (DICGC) बीमा योजना के दायरे में हैं। बीमा योजना के तहत बैंक का प्रत्येक जमाकर्ता अपनी 5 लाख रुपए तक की जमा राशि पर जमा बीमा दावा रकम डीआईसीसी से प्राप्त करने का हकदार है। निकसी पर पाबंदी छह महीने की अवधि के लिये होगी।
आरबीआई ने साफ किया है कि 'बैंक की मौजूदा नकदी की स्थिति को देखते हुए, जमाकर्ताओं को बचत या चालू खाता अथवा अन्य किसी भी खाते से जमा राशि में से कोई भी रकम निकालने की अनुमति नहीं होगी। ग्राहक जमा के एवज में कर्ज का निपटान कर सकते हैं जो कुछ शर्तों पर निर्भर है।' इसके तहत बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी RBI की पूर्व अनुमति के बिना कोई भी कर्ज नहीं देंगे या नवीनीकरण नहीं करेंगे। इसके साथ ही वे कोई निवेश भी नहीं करेंगे और न ही कोई भुगतान करेंगे।
आपको बता दें कि RBI ने इससे पहले महाराष्ट्र के जालना जिले में मंता अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक पर रोक लगाई थी। आरबीआई के मुताबिक उसने इस बैंक को कुछ निर्देश दिए हैं, जो 17 नवंबर 2020 को बैंक बंद होने के बाद से छह माह तक प्रभावी होंगे। इससे पहले वित्तीय संकट से गुजर रहे निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने तक के लिए पाबंदियां लगा दी गई थी।
गौरतलब है कि पिछले साल 2020 के दिसंबर में RBI ने महाराष्ट्र के कराड जनता सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया था। इस बैंक का लाइसेंस रद्द करते हुए आरबीआई ने कहा था कि इसका लाइसेंस 7 दिसंबर 2020 से रद्द कर दिया गया है। इसकी वजह बताते हुए आरबीआई ने कहा कि बैंक के पास न तो पर्याप्त पूंजी है और न आगे इसकी कमाई की संभावना दिख रही है।
क्या है डीआईसीजीसी (DICGC)
बैंकों में 5 लाख रुपये तक की जमा सुरक्षित होने की गारंटी डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन की ओर से होती है। डीआईसीजीसी, भारतीय रिजर्व बैंक के स्वामित्व वाली सब्सिडियरी है, जो बैंक जमा पर इंश्योरेंस कवर उपलब्ध कराती है। 5 लाख के डिपॉजिट बीमा के प्रावधानों के मुताबिक, बैंक के दिवालिया होने या उसका लाइसेंस रद्द होने पर 5 लाख रुपये तक की धनराशि का भुगतान जमाकर्ता को किया जाता है, फिर चाहे बैंक में उसका कितना ही पैसा जमा क्यों न हो।
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