इंद्रजीत सिंह, मुंबई: देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत आसमान छू रही है। दिल्ली-मुंबई समेत देशभर में पेट्रोल और डीजल की कीमत अब तक के उच्चतम स्तर पर है। मुंबई में आज पेट्रोल 96 रूपए प्रति लीटर तो डीजल लगभग 87 रूपए लीटर है। पिछ्ले 9 दिनों से ये दाम लगातार बढ़ रहे हैं। सिर्फ 2021 की बात करें तो नए साल में पेट्रोल और डीजल की कीमत 5 रूपए प्रति लीटर तक बढ़ चुकी है। सवाल ये है कि क्या लोगों को महंगे पेट्रोलियम पदार्थों की खरीददारी से कुछ राहत मिल सकती है? केंद्र या राज्य सरकार अपना टैक्स कंपोनेंट घटाकर लोगों को राहत दे सकती है। फिलहाल महाराष्ट्र में तो इस तरह के आसार नहीं दिख रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आज कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड 63.57 डॉलर प्रति बैरल के करीब है। देश में तेल को जो भी रेट होता है उसमें क्रूड ऑयल का प्राइस, ट्रांसपोर्टेशन खर्च ,ऑयल रिफायनरी कम्पनी का खर्च, डीलर का खर्च, मुनाफा और रिटेलर यानि पेट्रोल पंप का कमिशन शामिल होता है। लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि इसके उपर केंद्र और राज्य सरकार का टैक्स बोझ बहुत ज्यादा है। यूपीए के दूसरे कार्यकाल के 5 सालों में क्रूड की कीमत 70 से लेकर 110 डॉलर प्रति बैरल तक रही। लेकिन तब पेट्रोल की कीमत 55 से 80 रुपए के बीच ही रही, क्योंकि उस वक्त टैक्स का बोझ कम था। इसलिए अगर केंद्र और राज्य सरकार अपने अपने हिस्से का कुछ टैक्स बोझ कम करें तो आम जनता को कुछ राहत मिल सकती है।
लेकिन सरकार के सामने दिक्कत ये है कि कोरोना संकट के समय खर्च बढ़ा है जबकि सरकार की कमाई घटी है केंद्र में इस बार इंकम टैक्स की वसूली भी कम हुई है ,तो राज्य सरकार के पास भी राजस्व की वसूली कम हुई है, इतना ही नहीं पिछ्ले कुछ सालों में डॉलर के मुकाबले रूपया कमजोर हुआ है और कच्चे तेल के लिए पैसों का भुगतान डॉलर में करना पड़ता है इसलिए क्रूड ऑयल भले ही सस्ता हो इंडियन रूपए में भुगतान ज्यादा करना पड़ता है। लेकिन देश में एक लीटर कच्चे तेल की तुलना में पेट्रोल के लिए लोगों को चार गुना तक भुगतान करना पड़ रहा है इसलिए अब लोग गुस्से में है इसलिए सरकार को चाहिए कि कुछ टैक्स का बोझ कम करे।
देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों से जुड़ी हुई हैं। इसका मतलब है क्रूड ऑयल की कीमत घटती है तो कीमतें घटनी चाहिए लेकिन लॉक डाउन के समय क्रूड की कीमत 30-35 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी। फिर भी सरकार और पेट्रोलियम कंपनियों ने ग्राहकों को उसका फायदा नहीं दिया। जानकारों के मुताबिक़ देश में जो भी तेल की कीमत है उसमें केंद्र और राज्य सरकार का टैक्स 50 फ़ीसदी या उससे भी ज्यादा है। तो अगर सरकार चाहे तो लोगों को राहत दे सकती है लेकिन इसके आसार कम हैं।
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