नई दिल्ली: बजट की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी टीम आधुनिक भारत के सबसे चुनौतीपूर्ण बजट में से एक व कोविड-19 के कारण कोमा में गई भारतीय अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए बजट पेश करने वाली हैं। लेकिन एक बात निश्चित है, यह एक ऐसा बजट होगा जो इससे पहले कभी नहीं था।
बजट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक वैक्सीन प्रदान करेगा। यह एक ऐसा बजट होगा, जोकि सदियों पुरानी परंपराओं और रीति-रिवाजों से विराम लेगा।
26 नवंबर, 1947 के बाद पहली बार बजट प्रतियां नहीं छापी जाएंगी। नॉर्थ ब्लॉक में बजट दस्तावेजों के छापने के लिए एक प्रेस के साथ बोर्डिंग और लॉजिंग क्षेत्र के साथ-साथ 100 से अधिक बजट अधिकारी हैं, जो बजट दस्तावेजों को सील करने और वितरित करने तक प्रेस में रखे जाते हैं। लेकिन कोविड-19 के प्रसार पर चिंताओं के कारण, सरकार ने इस रिवाज को इस बार नहीं करने का फैसला किया है।
इतना ही नहीं पारंपरिक हलवा समारोह जो बजट की आधिकारिक छपाई से पहले किया जाता था, उसको भी इस बार नहीं किया जाएगा। इस बार का बजट पूरी तरह से डिजिटल होगा और संसद के सभी 750 सदस्यों को बजट की सॉफ्ट कॉपी और आर्थिक सर्वेक्षण मिलेगा। बजट के दिन संसद में बजट पत्रों से लदे ट्रकों की तस्वीरें भी इस बार देखने को नहीं मिलेगी।
2020-21 कई मायनों में एक ब्रेकआउट वर्ष रहा है। कई चीजों के साथ जो कोविड-19 के कारण इस बार संसद भी कागज रहित रही। संसद कई वर्षों से अपने रिकॉर्ड को डिजिटाइज़ करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि हम महामारी की बदौलत इसको आगे बढ़ाने के लिए एक कदम उठाया जा सका है।
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