बजट 2021-22 से जिन क्षेत्रों को सबसे ज्यादा उम्मीद बनी हुई है उनमें खिलौना इंडस्ट्री भी प्रमुखता से शामिल है। जानकारों का मानना है कि इस बजट में केंद्र सरकार खिलौनों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस क्षेत्र के लिए एक ठोस नीति बना सकती है। विश्लेषकों के मुताबिक इस नीति के लागू होने से देश में खिलौना उद्योग के लिए एक मजबूत आर्थिक ढांचा खड़ा करने में मदद मिलेगी और साथ ही इस इंडस्ट्री में स्टार्टअप्स को भी बड़े स्तर पर प्रोत्साहन मिलेगा।
गौरतलब है कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय पहले ही खिलौनों की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। मंत्रालय ने 2020 में बड़ा फैसला लेते हुए खिलौनों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था। साथ ही मंत्रालय ने घरेलू बाजार में कम गुणवत्ता वाले खिलोनों की बिक्री को भी नियंत्रित करने के आदेश दिए हैं। मंत्रालय की इस पूरी कवायद को भारत में ही खिलौनों के उत्पादन को बढ़ावा देने से जोड़कर देखा जा रहा है।
फिलहाल, भारत में खिलौना उद्योग मुख्य तौर पर असंगठित है जिसमें तकरीबन 4000 छोटे व मंझोले उद्योग हैं। जबकि, देश में लगभग 85 फीसदी खिलौनों को आयात किया जाता है। इसमें बड़ी मात्रा में खिलौनों को चीन से मंगवाया जाता है। इसके बाद श्रीलंका, मलेशिया, जर्मनी, हॉन्ग कॉन्ग और अमेरिका से खिलौने भारत आते हैं।
जानकारों का कहना है कि अभी तक भारत खिलौनों के निर्यात के मामले में दूसरे देशों की तुलना में बहुत पीछे है। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो खिलौनों की वैश्विक मांग में भारत की हिस्सेदारी महज 0.5 फीसदी से भी कम है। अभी तक वैश्विक स्तर पर इस इंडस्ट्री में चीन और वियतनाम जैसे देशों का बड़ा दबदबा है। ऐसे में माना जा रहा है कि भारत में इस क्षेत्र में बहुत अवसर हैं। सूत्रों के मुताबिक नए बजट में खिलौना क्षेत्र के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट के साथ डिजाइ केंद्रों को भी प्रोत्साहन दिया जा सकता है।
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